मनोज जरांगे और छगन भुजबल (सोर्स: सोशल मीडिया)
नासिक: लगभग एक साल पहले मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जालना जिले के अंतरवली सराटी गांव में मनोज जरांगे के नेतृत्व में अनशन शुरू किया गया था। अनशन के चौथे दिन जरांगे पाटिल की तबीयत खराब हो गई थी। लेकिन प्रशासन की ओर से अनशन वापस लेने की अपील को उन्होंने ठुकरा दिया था। जरांगे अनशन पर अडिग थे।
इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारियों को हिरासत में लेने की कोशिश की। आंदोलनकारियों ने विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। आंदोलनकारियों ने पत्थरबाजी भी की थी। इसके बाद यह मामला और भी बढ़ गया था। यह लाठीचार्ज का मुद्दा राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा में आया था। इस मामले को लेकर छगन भुजबल ने सनसनीखेज दावा किया है।
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छगन भुजबल के विवादास्पद दावे से मराठा आंदोलन में नया मोड़ आ गया है। महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आंदोलन के दौरान अंतरवली सराटी में हुई घटना के बारे में एक विवादास्पद दावा किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की लाठीचार्ज के बाद मनोज जरांगे वहां से भाग गए थे, लेकिन रोहित पवार और राजेश टोपे ने उन्हें वापस लाया और बैठाया।
भुजबल ने रोहित पवार और राजेश टोपे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अगले दिन सुबह शरद पवार को भी वहां बुलाया था। भुजबल के अनुसार शरद पवार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वहां बड़े पैमाने पर पुलिस पर पत्थरबाजी हुई थी। इस दावे के बाद एक नया विवाद उठने की संभावना है।
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मनोज जरांगे ने कहा कि भुजबल को आरोप लगाने के अलावा कुछ और नहीं करना है। उनके पीछे फडणवीस की शक्ति है ना, जो वो कहते हैं उन्हें वो साबित करना चाहिए और हमें जेल में डालें। हम उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते। जरांगे ने आगे कहा कि भुजबल मारामारी, दंगे कराके चुनाव लड़ना चाहते हैं।
जरांगे ने कहा कि छगन भुजबल सबसे बड़े महापापी हैं, वे गरीब ओबीसी मराठा समुदाय में विभाजन लाना चाहते हैं। उन्हें यह नहीं पता कि वे कितने वरिष्ठ हैं। वे सिर्फ आरोप लगाने और दंगे कराने के पीछे लगे हुए हैं। वे कुछ भी कह रहे हैं। रोहित पवार और राजेश टोपे द्वारा जरांगे को वापस लाए जाने के भुजबल के आरोप पर जरांगे ने कहा कि इसमें कोई तर्क नहीं है। लोग उन पर विश्वास नहीं करते। ओबीसी समुदाय भी उन पर विश्वास नहीं करता।