उपमुख्यमंत्री अजित पवार चाचा शरद पवार के साथ (कांसेप्टो फोटो)
मुंबई : राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महाराष्ट्र की महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह नहीं सोचा होगा कि मुख्यमंत्री बनने की चाहत में जो कदम उठा रहे हैं, उस पर पछताना भी पड़ सकता है और अगर आने वाले कुछ दिनों में महायुति में उनके हालात नहीं सुधरे तो एकबार फिर चाचा शरद पवार के पैर पकड़ने और माफी मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अपने दूसरे सहयोगी देवेंद्र फडणवीस से कुछ नाराज नजर आ रहे हैं। इसीलिए उन्होंने धीरे-धीरे इन दोनों से कन्नी काटनी शुरू कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि अजित पवार का हृदय परिवर्तन हो रहा है और जल्द ही वह चाचा शरद पवार की शरण में जा सकते हैं।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार चाचा शरद पवार के साथ (कांसेप्टो फोटो)
महाराष्ट्र की राजनीति में एक और नाटक
हमारे देश की राजनीति में कब क्या हो जाए इसका कोई भरोसा नहीं है। फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति में एक और नाटक जल्द ही देखने को मिल सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज नेता शरद पवार को दरकिनार करके उनके भतीजे अजित पवार ने पार्टी में तोड़फोड़ की और विधायकों को लेकर महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए।
वह चाचा की पार्टी तोड़कर एक बार फिर से डिप्टी सीएम बन तो गए, लेकिन उनको सीएम की कुर्सी अब दूर की कौड़ी नजर आने लगी है। जैसे-जैसे दिन बीतते गए वैसे-वैसे अजित पवार की जमीनी हकीकत सामने आने लगी है। एक ओर जहां पार्टी के लोग उनके कई फैसलों से नाराज हैं और पुराने दल में वापसी की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं सरकारी योजनाओं का श्रेय लेने के चलते मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से अजीत पवार का मनमुटाव बढ़ गया है। इसीलिए देखा गया कि गुरुवार को मुंबई में कोस्टल रोड को बांद्रा वर्ली सी लिंक से जोड़ने वाली सड़क के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ वह नजर नहीं आए।
इसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि वह इन दोनों नेताओं से नाराज चल रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अमित शाह के भी कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन जब मामले में किरकिरी शुरू हुई तो मुंबई एयरपोर्ट जाकर अमित शाह को विदाई देने की औपचारिकता निभाई।
सुप्रिया सुले के खिलाफ बीवी को लड़ाना बड़ी गलती
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल के दिनों में जिस तरह से राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं, उसमें अजित पवार को लगने लगा है कि वह अपनी राजनीति शरद पवार से हटकर नहीं चमका सकते हैं। हालांकि उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान बारामती से अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को उतारने को बड़ी गलती बता रहे हैं। उनको यह लगने लगा है कि राजनीति को घर में घुसने नहीं देना चाहिए था। यह उनकी एक बड़ी गलती है और उसे यह सुधारना चाहते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी खुश नहीं
इतना ही नहीं अजित पवार की महायुति में एंट्री से भारतीय जनता पार्टी की पेरेंट्स संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी खुश नजर नहीं था। उसका मानना था कि अजित पवार के गठबंधन में आने से महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को फायदा नहीं हुआ, बल्कि भारी घाटा उठाना पड़ा है। ऐसे में अजीत पवार अगर विधानसभा में भी पार्टी के साथ बने रहते हैं तो पार्टी को नुकसान हो सकता है।
लगातार बदले रहे राजनीति हालात व समीकरण में अब अजित पवार को लगने लगा है कि वह अपने चाचा की शरण में चले जाएं तो अपने कुछ कार्यों का पश्चाताप कर सकते हैं और अपनी आगे की राजनीतिक पारी को मजबूती दे सकते हैं।