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नासिक में 3500 बच्चे कुपोषण के शिकार, आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मामले, HC ने मांगी रिपोर्ट

Nashik News: नासिक में 3500 बच्चे कुपोषण के शिकार पाये गये है। आदिवासी बहुल तालुकों में इसके आंकड़े सबसे ज्यादा है। हाईकोर्ट ने प्रशासन से इन आंकड़ों की रिपोर्ट मांगी है।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Aug 07, 2025 | 08:53 PM

नासिक में 3500 बच्चे कुपोषण के शिकार (pic credit; social media)

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Malnutrition Cases In Nashik: एक तरफ, नासिक जिला कृषि समृद्धि के दम पर देश-विदेश में अनाज की आपूर्ति करता है, वहीं दूसरी तरफ एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। नासिक में ही साढ़े तीन हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिनमें से 410 बच्चे ‘गंभीर तीव्र कुपोषित’ (SAM) श्रेणी में आते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि विशेषज्ञों का मानना है कि आदिवासी तालुकों में अभी भी प्रचलित अंधविश्वास की प्रथाएं भी इसका एक कारण हैं।

यह भी सामने आया है कि कई गांवों में स्थानीय प्रशासन भी कुपोषित बच्चों के सही आंकड़े सामने न आने देने के लिए जिम्मेदार है। अब सरकार ने कुपोषण उन्मूलन अभियान में सरपंचों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। जिले में कुपोषण की समस्या को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पोषण के बारे में जागरूकता की कमी, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही, रोजगार के लिए पलायन, गर्भवती महिलाओं के अपर्याप्त पोषण और ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास जैसी वजहों से बच्चों के कुपोषण का मुद्दा गंभीर बना हुआ है।

आदिवासी बहुल तालुकों में सबसे अधिक कुपोषण

यह आंकड़ा जिले के 15 तालुकों में चल रही 26 परियोजनाओं का है। जिले में गंभीर तीव्र कुपोषित (SAM) और मध्यम तीव्र कुपोषित (MAM) दोनों श्रेणियों में कुपोषित बच्चों की संख्या 3500 के करीब है। मुंबई और पुणे से कनेक्टिविटी वाले नासिक के लिए यह आंकड़ा चिंताजनक है। जिले में मुख्य रूप से पेठ, सुरगाना, इगतपुरी, त्र्यंबकेश्वर, कलवन, दिंडोरी और बागलाण जैसे आदिवासी बहुल तालुकों में सबसे अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र पर कुपोषण का ग्रहण, मुंबई में सबसे ज्यादा आंकड़े, सरकार पर उठे सवाल

उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

कुपोषण को खत्म करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र, आंगनवाड़ी केंद्र और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से पोषण आहार की आपूर्ति, बच्चों की स्वास्थ्य जांच, जागरूकता अभियान और दवाओं की आपूर्ति जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। राज्य के दुर्गम इलाकों में बढ़ते कुपोषण पर चिंता जताते हुए उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं।

उच्च न्यायालय ने सरकार से यह रिपोर्ट मांगी है कि पिछले दो वर्षों में कुपोषण उन्मूलन के लिए क्या उपाय किए गए हैं और आदिवासी व दुर्गम क्षेत्रों में कुपोषण को खत्म करने के लिए क्या आवश्यक है। इस पृष्ठभूमि में, कुछ दिन पहले जिला परिषद में कुपोषण उन्मूलन और संक्रामक रोग नियंत्रण कार्य बल समिति के अध्यक्ष डॉ. दीपक सावंत ने महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों से इस विषय पर जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए।

Nashik 3500 children malnutrition in tribal areas high court seeks report

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Published On: Aug 07, 2025 | 08:53 PM

Topics:  

  • High Court
  • Maharashtra News
  • Nashik
  • Nashik News

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