बालासाहेब ठाकरे के साथ नारायण राणे व उद्धव ठाकरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: महाराष्ट्र में शुरू में कई सालों तक कांग्रेस का राज रहा। इसके बाद शिवसेना और भाजपा के गठबंधन वाली सरकारें रही। 19 जून 1966 को बालासाहेब ठाकरे ने मराठी मानुस और हिन्दुत्व की राजनीति को लेकर एक पार्टी का गठन किया, नाम रखा शिवसेना। राज्य में 1995 में पहली बार शिवसेना की सरकार बनी, जिसका नेतृत्व मनोहर जोशी ने किया। जब 1998 में जोशी का हटाने की बात चली तो बालासाहेब के दूसरे सिपहसालार की ताजपोशी की गई। आज उसी शख्सियत का जन्मदिन है।
इस शख्सियत का जन्म अप्रैल 1952 में हुआ और उन्होंने शिवसेना से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। चेंबूर के शाखा प्रमुख से महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे की। राणे को 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उन्होंने बीस साल की उम्र में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था।
राजनीति में आने से पहले, नारायण राणे ‘हरया-नारया’ गिरोह के सदस्य थे, जो 1960 के दशक में मुंबई के उत्तरपूर्वी उपनगर चेंबूर में सक्रिय एक गली-मोहल्ला गिरोह था। इसके बाद उन्होंने सियासत का रास्ता चुना।
बालासाहेब ठाकरे राणे को शिवसेना में शामिल होने के बाद बॉम्बे में पार्षद बनाया, फिर बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) के अध्यक्ष बने, जिसका उस समय बजट 1,500 करोड़ रुपये से अधिक था। वित्तीय मामलों को संभालने और शिवसेना के लिए धन इकट्ठा करने के उनके काम ने उन्हें शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे के करीब ला दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी व नारायण राणे (सोर्स: एएनआई)
1998 में जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को पद छोड़ने के लिए कहा गया, तब बालासाहेब ठाकरे ने अपने दूसरे सिपहसालार नारायण राणे को इस पद के लिए चुना। वे 8 महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन गया।
बालासाहेब के बेटे उद्धव ठाकरे के उदय के साथ ही नारायण राणे को किनारे कर दिया गया, जिसके कारण उनकी कार्यशैली की आलोचना भी हुई। 2005 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण राणे को शिवसेना से निकाल दिया गया।
शिवसेना से नाता टूटने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए और तुरंत ही उन्हें राज्य का राजस्व मंत्री बना दिया गया। 26/11 के मुंबई हमलों के बाद सीएम विलासराव देशमुख ने पद छोड़ दिया और उनकी जगह अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया गया।
अशोक चव्हाण के मुख्यमंत्री बनने से नाराज नारायण राणे ने दावा किया कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया था। राणे ने पार्टी हाईकमान के खिलाफ विरोध जताया और सोनिया गांधी पर हमलावर हो गए, जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया। हालांकि, माफी मांगने के बाद उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।
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2014 में राणे ने कांग्रेस के टिकट पर कोंकण से चुनाव लड़ा, जिसमें वे हार गए। कांग्रेस ने उन्हें फिर से बांद्रा ईस्ट विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में उतारा, लेकिन राणे शिवसेना उम्मीदवार से चुनाव में मात खा गए।
कांग्रेस मोहभंग होने के बाद जब नारायण राणे ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होने का निर्णय लिया, तो उन पर तत्कालीन बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया। सोमैया ने राणे पर सेंट्रल मुंबई में एक लग्जरी प्रोजेक्ट वन अविघ्न पार्क में टैक्स हेवन से पैसा निवेश करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही वह नासिक में उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक भूमि को गैर अधिसूचित करने में अनियमितताओं की राज्य सरकार की जांच का भी हिस्सा थे।
इससे पहले, 2002 में पूर्व कांग्रेस विधायक पद्माकर वलवी ने राणे के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जो उस समय शिवसेना और भाजपा के गोपीनाथ मुंडे के साथ थे, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार के खिलाफ विश्वास मत से पहले जबरन अपहरण का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने राणे और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिन्हें बाद में जमानत मिल गई।