नागपुर. शीत सत्र शुरू होते ही ऑरेंज सिटी में मंत्री, विधायक, कार्यकर्ताओं सहित पूरी सरकार आ चुकी है और कार्य भी शुरू हो चुका है. विधायकों को रहने, खाने की अच्छी और सस्ती सुविधा के लिए शहर में एमएलए हॉस्टल बना हुआ है. बावजूद इसके विधायक इसमें रहने के बजाय बड़े होटलों में रहना और खाना पसंद करते हैं. कुछ को छोड़ दिया जाये तो बहुत से विधायक बड़े होटलों में ही रुकते हैं. वहीं एमएलए हॉस्टल की कैंटीन में विधायकों के लिए अच्छा खाना बनता है और उन्हें यह रियायती दरों पर भी मिलता है.
बावजूद इसके उनकी जगह यहां के खाने का उपयोग कोई और करता है. इसी तरह का हाल रवि भवन की कैंटीन का भी नजर आता है. अभी जहां एक बड़े होटल में एक बार के खाने में 1,500 से 2,000 रुपये का खर्च आता है वहीं एमएलए हॉस्टल में 100 रुपये से भी कम कीमत में खाने की सुविधा विधायकों को मिलती है. बड़े होटलों की तुलना में एमएलए हॉस्टल और रविभवन में इतना सस्ता खाना होने के बावजूद विधायकों को यहां का खाना रास नहीं आ रहा है.
शीत सत्र के दौरान हर वर्ष एमएलए हॉस्टल में विधायकों और नेताओं के लिए पूरा इंतजाम किया जाता है. खाने से लेकर रहने तक की सुविधा के लिए सरकार की ओर से करोड़ों खर्च किये जाते हैं लेकिन विधायकों द्वारा इन सुविधाओं का उपयोग नहीं किये जाने से हर वर्ष सरकार को करोड़ों का नुकसान होता है. वहीं जिन होटलों में नेता और विधायक रहते और खाते हैं उसका भी लाखों का बिल जुड़ता है. विधायकों के लिए की जाने वाली सुविधाओं का कोई और ही लाभ उठाता है. एमएलए हॉस्टल में विधायकों के लिए जहां थाली की कीमत 50 रुपये है तो वहीं बड़े होटलों में थाली का खर्चा 1,500 से 2,000 रुपये से ऊपर जाता है. खाने से लेकर नाश्ते सहित हर सुविधा का खर्च अलग होता है जबकि एमएलए हॉस्टल में नाश्ते का खर्च भी नाममात्र का ही रहता है. इतनी सारी और अच्छी सुविधाएं होने के बावजूद विधायकों को लग्जरियस की आदत लग गई है.
रवि भवन में वेज थाली की कीमत 150 रुपये व नॉनवेज थाली 250 से 300 रुपये में मिल रही है. इसके अलावा पोहा, कचोरी, समोसा, बटाटा वड़ा, वेज कटलेट, उपमा, कांदे भजिया, वेज सैंडविच, हॉट मिल्क ग्लास व साबूदाना खिचड़ी जहां 30 रुपये में मिल जा रहा है वहीं ब्रेड बटर और ब्रेड टोस्ट तो 20 रुपये में मिल रहा है. देखा जाये तो रवि भवन से भी कम कीमत में एमएलए हॉस्टल में नाश्ता और खाना मिल जाता है लेकिन महंगे होटलों में रुकने वाले विधायकों को सस्ता और अच्छा खाना रास नहीं आता. नेताओं और विधायकों की मेहरबानी के चलते ही अधिवेशन में शहर के होटलों की जमकर कमाई होती है.