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नागपुर. पुलिस द्वारा मानवाधिकार का उल्लंघन करने का जीता-जागता उदाहरण अजनी थाने में दर्ज प्रकरण में देखने को मिला. पुलिस से हुई शाब्दिक झड़प के बाद पूर्व महापौर पांडुरंग हिवरकर, उनके बेटे अजय हिवरकर और 2 लोगों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा निर्माण करने का मामला दर्ज किया गया. पांडुरंग को तो जमानत मिल गई. अन्य 2 को पुलिस हिरासत के बाद जेल भेज दिया गया लेकिन अजय को छाती में दर्द होने के कारण मेयो अस्पताल में भर्ती किया गया था.
अस्पताल में पुलिस ने अजय के साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया. बेड पर होने के बावजूद उनके पैरों पर हथकड़ी बांध दी गई. अजय के वकील अनिल गोवरदीपे ने इसे सरासर मानवाधिकार का उल्लंघन बताया. उन्होंने बताया कि घटना के समय कैमरे में कैद हुई फुटेज से साफ पता चलता है कि गलती एसीपी बिरादार की थी लेकिन पुलिस ने इस प्रकरण को अलग ही रंग दे दिया. अजय न्यायिक हिरासत में अस्पताल में भर्ती हुए थे. उनके साथ किसी पेशेवर मुजरिम की तरह बर्ताव किया गया. लगातार पुलिस डॉक्टरों पर डिस्चार्ज के लिए दबाव डालती रही.
आखिर उन्हें डिस्चार्ज करवाकर 2 दिन की हिरासत ली गई. जब अस्पताल में उनके साथ ऐसा बर्ताव किया गया तो न जाने थाने के लॉकअप में कैसा सलूक किया जाएगा. इसकी शिकायत ह्यूमन राइट कमिशन से की जाएगी. अपराधियों पर लगाम कसने की बजाय पुलिस आम नागरिक के साथ आतंकी जैसा सलूक कर रही है.
अजय के रिश्तेदारों ने बताया कि अब आसपास के लोगों को भी प्रताड़ित किया जा रहा है. विवाद के दौरान वीडियो बना रहे विपिन खाटे को बहुत बुरी तरीके से पीटा गया. अन्य लोगों को भी परेशान किया जा रहा है.