टोल विभाग (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: नागपुर जिले के बेसा संभाग में भारी वाहनों के आवागमन के लिए सन 2012 को आऊटर रिंग रोड बाइपास तैयार किया गया था। जिसकी लंबाई 117 किमी है। उस समय इसका ठेका ओरीएंटल प्रोजेक्ट नामक कंपनी को 1900 करोड़ रूपये में दिया था। इस कंपनी का मुख्य कार्यभार दिल्ली से चलता है। इसका एक युनिट पांजरी टोल नाका है। ऐसे 5 टोल इस मार्ग पर हैं।
रास्ते का मेंटेनन्स व यातायात सुविधा लोगों को देना यह टोल विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन इस रास्ते पर कुड़ा, कचरा, अतिक्रमण व असुविधाओं ने रास्ते की सुरत को बिगाड़ दिया है। वहीं सुविधाएं भी नदारद है। यहां एक सवाल यह उठता है कि, जब मेंटेनन्स व सुविधा है ही नहीं तो लोगों के वाहनों से वसूल किए जा रहे टोल के करोड़ों रूपये जा कहां रहे हैं?
सुत्रों के अनुसार, पाजरी टोल नाका अंतर्गत पाजरी, बोरखेडी, खुमारी बॉर्डर, कारंजा घाडगे, कन्हान-कामठी ऐसे 5 टोल आते हैं। इनमें से प्रतिदिन 3 करोड़ रूपयों का टोल वसूल किया जाता है। इसके बदले टोल विभाग को रास्ते की मरम्मत, लाईट, पौधे लगाना, डिवाईडर की सजावट, बाइपास के जगह आगे आनेवाले गांव के नाम फलक हर जगह लगाना, अतिक्रमण मुक्त करना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, दुर्घटना घटने पर तत्काल एम्बुलेंस की व्यवस्था करना के साथ आदि सुविधा उपलब्ध करना है। लेकिन इन सभी जिम्मेदारी को टोल विभाग ठेंगा बता रहा है। नियमित टोल देनेवाले वाहन चालकों का कहना है कि जब टोल विभाग सुविधा नहीं दे रहा है तो कहां जा रहा है यह वसूला पैसा? ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है।
इस बाइपास रास्ते को जुड़नेवाले सर्विस रोड के किनारे कचरे के बड़े ढेर दिखाई देते हैं। इस कचरे में प्लास्टिक, पॉलिथीन, सड़ा गला अनाज, प्लास्टिक की चीजें, बॉटल के साथ कचरे के ढेर रास्ते किनारे होने से इस कचरे के बदबू से नागरिकों का आवागमन मुश्किल हो गया है। जगह-जगह नर्सरी, पंचर की दुकानें, गैरेज, होटल, पानी टैंक आदि व्यवसायियों का अतिक्रमण रास्ते तक फैल चुका है। इस अतिक्रमण से काफी घटनाएं हो चुकी है। फिर भी टोल विभाग के साथ जनप्रतिनिधि भी इस समस्या की ओर उदासीनता बरत रहे हैं। जो कि एक ताज्जूब की बात है।
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सड़क किनारे जहां पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं वह सारा कचरा होटल व भोजनालय का है। कुछ ग्राम पंचायत वाले भी रास्ते पर कचरा फेंक देते हैं। इस कचरे के विषय को लेकर हमारी ओर से नोटिस दिया गया है।