
सुपारी कांड (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Supari Trafficking India: क्राइम ब्रांच की ओर से गुरुवार को सुपारी कारोबारियों पर की गई कार्रवाई में भले ही अधिक माल न लगा हो, लेकिन बोरे में लगे इंडोनेशिया के निशान ने यह दर्शा दिया है कि मामला गंभीर है और विदेश से अब भी जीएसटी, कस्टम चोरी कर लोग बड़े पैमाने पर माल मंगवा रहे हैं।
यह अलग बात है कि अन्न एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने हाथ बांध लिए हैं, लेकिन इस मामले में डीआरआई की एंट्री की संभावना प्रबल हो गई है। इससे पूर्व भी डीआरआई ने अनुमान लगाया था कि सुपारी आयात कर कारोबारी सरकार को सालाना 10,000 करोड़ रुपये का चूना लगा रहे हैं। एक फूटी कौड़ी दिए बगैर माल मंगा रहे हैं और जमकर कर की चोरी कर रहे हैं।
कर चोरी करने के मामले को लेकर डीआरआई की ओर से कई बार कार्रवाई की गई है। इस बार भी मामला गंभीर दिखाई दे रहा है। नागपुर के ‘नागरिया’, शिव की जोड़ी को काफी अहम माना जा रहा है। वर्षों से यही दोनों मुख्य रूप से विदेशी सुपारी मंगाने का काम कर रहे हैं। बिल्टी के बिना या जाली बिल्टी बनवाने में दोनों काफी माहिर माने जाते हैं।
असम और कोलकाता में बैठे आकाओं के जरिए ये जाली बिल्टी बनवाते हैं और पूरे देश में माल की आपूर्ति करते हैं। सत्ताधारी पार्टियों से संबंध होने के कारण इन्हें बोलने वाला भी कोई नहीं है। अधिकारी हाथ बांध लेते हैं और ये खुले बाजार में अपनी ‘ताकत’ दिखाते हैं। यही कारण है कि गोदाम से 5 करोड़ रुपये की सुपारी गायब हो जाती है और कोई अधिकारी ‘उफ’ तक नहीं करता है।
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कागजी लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। तब भी इनका नाम सामने आ रहा था। कार्रवाई हुई थी और करोड़ों का माल जब्त हुआ था। इस बार भी विभाग गंभीरता से जांच करे, तो कई अन्य गोदाम मिल सकते हैं, जहां पर इंडोनेशिया से मंगाई गई सड़ी सुपारी मिल सकती है।
‘सिंह’ और ‘नागरिया’ के अलावा चामडिया पर कार्रवाई होती है और फिर ये ग्राहक का बहाना बनाकर खुद को मामले में अलग कर लेते हैं। इससे कारोबारी फंस जाता है, जबकि ये बच जाते हैं। वास्तविकता यह है कि ट्रांसपोर्टिंग का काम करते-करते ये खुद कारोबारी बन गए हैं। इससे मार्केट में कारोबारी बनाम ट्रांसपोर्टर के बीच जंग जैसी स्थिति भी बन गई है। इससे पहले कई ट्रांसपोर्टरों पर बड़ी गाज भी गिरी है।






