शालार्थ मामला
Nagpur News: नागपुर में बोगस शिक्षकों की नियुक्ति और शालार्थ आईडी प्रकरण में स्थापित की गई राज्य स्तरीय एसआईटी ने अपना धरपकड़ अभियान तेज कर दिया है। गैरकानूनी तरीके से 398 शिक्षकों का वेतन जारी करने वाले 2 शिक्षण अधिकारियों को एसआईटी ने गिरफ्तार किया है। दोनों ने अपने निजी फायदे के लिए सरकार को कम से कम 100 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।
पकड़े गए आरोपियों में शिक्षण अधिकारी, जिला परिषद नागपुर सिद्धेश्वर श्रीराम कालुसे (50) और रोहिणी विठोबा कुंभार (49) का समावेश है। साइबर पुलिस स्टेशन ने विभागीय शिक्षण उपसंचालक कार्यालय के कनिष्ठ प्रशासन अधिकारी रविंद्र पाटिल की शिकायत पर धोखाधड़ी और आईटी एक्ट सहित विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
इसमें शिक्षण उपसंचालक नागपुर विभाग के कार्यालय से शालार्थ आईडी जारी न होने के बावजूद ऑनलाइन शालार्थ आईडी प्रणाली का दुरुपयोग करके शालार्थ आईडी के फर्जी ड्राफ्ट तैयार करके बोगस शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन अदा करने की शिकायत थी। इस प्रकरण की जांच के दौरान एसआईटी ने अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इनमें 3 विभागीय शिक्षण उपसंचालक, 1 शिक्षण अधिकारी, 4 लिपिक, 2 मुख्याध्यापक और 2 शाला संचालकों का समावेश है। प्रकरण की बारीकी से जांच करने पर पुलिस को पता चला कि 16 मार्च 2024 से अब तक सिद्धेश्वर कालुसे शिक्षण अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। उनके कार्यकाल में 154 नवप्रविष्ट शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का शालार्थ आदेश जारी न होने के बावजूद वेतन देने की प्रक्रिया की गई।
इसी तरह 21 मार्च 2022 से 15 मार्च 2024 के बीच रोहिणी कुंभार शिक्षण अधिकारी पद पर कार्यरत थीं। उनके कार्यकाल में 244 शिक्षकों और कर्मचारियों को गैरकानूनी तरीके से तनख्वाह दी गई। इससे सरकार को 100 करोड़ से ज्यादा की आर्थिक हानि हुई। दोनों की मिलीभगत सामने आने के बाद पुलिस दस्ते ने कालुसे और कुंभार को गिरफ्तार किया।
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दोनों आरोपियों को पुलिस ने बुधवार को प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के कोर्ट में पेश किया था। जांच दल ने कोर्ट से 7 दिन की पुलिस हिरासत मांगी। कोर्ट ने पुलिस कस्टडी नकारते हुए आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। कोर्ट के आदेश के खिलाफ जांच टीम वरिष्ठ न्यायालय में रिवीजन अर्जी दायर कर रही है।