नागपुर. शासन-प्रशासन में ऑरेंज सिटी एक बार फिर हॉट सिटी बन चुकी है क्योंकि देवेन्द्र फडणवीस अब महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री है. हालांकि उनके ही शहर में पिछले करीब 1 वर्ष से प्रादेशिक परिवहन अधिकारी का पद खाली है. इसके चलते परिवहन विभाग से संबंधित कार्यों के लिए चक्कर काट रहे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हैरानी की बात है कि एक वर्ष से अधिक का समय बीतने के बाद भी नागपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र को एक आरटीओ अधिकारी नहीं दिया जा सका है. विभाग में चर्चाओं का दौर शुरू है कि क्या यह स्थिति बन गई है या जानबुझकर बना दी गई है.
हालांकि पर्यायी व्यवस्था के तौर पर डिप्टी आरटीओ रविन्द्र भुयार अकेले ही नागपुर शहर, पूर्व नागपुर और ग्रामीण आरटीओ का प्रभार संभाल रहे हैं. इतना ही नहीं, भुयार के पास वर्धा, भंडारा, गोंदिया, गड़चिरोली और चंद्रपुर जिले की भी जिम्मेदारी दी गई है. पिछले महीनों से रेत तस्करी, प्राइवेट सवारी बसों, मालवाहक वाहनों की जांच के खिलाफ आरटीओ कार्रवाई पूरी तरह से ठंडी पड़ी हुई है. हाल यह है कि यदि किसी को कार्यालय के सबसे वरिष्ठ अधिकारी से मिलना हो तो अधिकांश समय कुर्सी खाली दिखाई देती है.
कप्तान के बिना आरटीओ कर्मचारियों का ‘कल आना’ वाला रवैया शुरू हो चुका है. डिप्टी आरटीओ के भरोसे पूरा काम होने के चलते विभाग संबंधी कई जरूरी निर्णयों पर ब्रेक लगा हुआ है. वहीं सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों का जांच अभियान भी पूरी तरह से ठंडे बस्ते में समा चुका है. ऐसे में कुछ विशेष विभागों में हो रही कार्यप्रणाली समझ से परे हो रही है. देखने में आया है कि वाड़ी, एमआईडीसी परिसर में आरटीओ के फ्लाइंग स्क्वाड अधिकार शुक्रवार को ही ओवरलोड वाहनों की जांच करता है. भारी-भरकम चालान ठोककर माल और वाहन, दोनों जब्त कर लिये जाते हैं. अगले 2 दिन शनिवार और रविवार होने के चलते आरटीओ ऑफिस बंद रहता है और वाहन मालिक को चालान भरने के लिए सोमवार का इंतजार करना पड़ता है. 3 दिनों तक वाहन में रखा माल किसी काम नहीं आता. इससे ट्रांसपोर्टरों में रोष है लेकिन टीम का कप्तान ही तो शिकायत किससे करें.
इसी से स्थिति समझी जा सकती है कि राज्य के परिवहन विभाग के पास सीनियर अधिकारियों की कितनी कमी है. हालांकि अंदरखाने में चर्चा है कि गड़चिरोली के आरटीओ रह चुके विजय चौहान को प्रमोशन के तौर पर नागपुर आरटीओ भेजे जाने की तैयारी थी लेकिन मामला बीच में ही अटका दिया गया. विभाग की अंदरूनी उठापटक के कारण लाइसेंस, परमिट जैसे छोटे कामों के लिए परिवहन विभाग के चक्कर काट कर नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है. इसके चलते एक बार फिर एजेंटों का राज शुरू हो गया है.