नागपुर फ्लाईओवर (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
Nagpur News In Hindi: सदर फ्लाईओवर के डिजाइन में बदलाव का मुहूर्त निकल गया है। 34 करोड़ रुपये का प्रावधान महा मेट्रो को कर दिया गया है और महा मेट्रो ने भी इस कार्य को आगे बढ़ने के लिए तैयारी कर ली है। डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आरंभिक डिजाइन के अनुसार लिबर्टी टाकीज से ‘वाई’ शेप में नया रैंप बनाया जाएगा जो एनआईटी होते हुए बीच के खाली प्लॉट से होते हुए मेट्रो ब्रिज के नीचे से सीधे कस्तूरचंद पार्क में उतरेगा।
इसके बाद वहां से कस्तूचंद पार्क मेट्रो स्टेशन के पीछे से होते हुए आरबीआई चौक की तरफ आगे बढ़ेगा और मुख्य मार्ग से जुड़ेगा। इस डिजाइन को ही अंतिम मानकर अधिकारी चल रहे हैं। इससे कामठी रोड जाने के लिए किए गए ‘ब्लाक’ से राहत मिलेगी और लोग सीधे कामठी रोड की ओर जा सकेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए कस्तूचंद पार्क की कुछ जमीन अधिग्रहित करना होगा। अधिग्रहण के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हामी भर दी है। जमीन मिलने, प्लानिंग को अंतिम रूप देने में लगभग 4 माह का समय लगेगा। इसके बाद जमीनी कार्य शुरू किया जा सकेगा। प्लानिंग और पैसे का इश्यू नहीं रह गया है।
केवल कस्तूरचंद पार्क की जमीन लेने के लिए प्रयास करने होंगे। इस प्रक्रिया के पूर्ण होने से कामठी रोड की ओर जाने वाले हजारों नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी। वहीं सदर फ्लाईओवर से उतरने वालों के लिए भी सिरदर्द बना रहता था। फ्लाईओवर के ऊपर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।
पिछले काफी दिनों से इस पर काम शुरू कर दिया गया है। नापजोख भी किया जा रहा है। सबसे बड़ी चुनौती मेट्रो के नीचे से फ्लाईओवर को निकालने का काम है। इस पर भी मंथन हो चुका है। अधिकारियों की मानें तो फ्लाईओवर और मेट्रो की ऊंचाई के बीच 4 मीटर का अंतर मिल रहा है जो एक बस के आने-जाने के लिए पर्याप्त है। ट्रकों को लेकर कुछ संशय हो सकता है परंतु नई डिजाइन वाले फ्लाईओवर से बस आसानी से आ-जा सकेंगी। छोटे वाहनों के लिए कोई समस्या नहीं आएगी। नई डिजाइन को एक सप्ताह के अंदर ‘फाइनल’ किया जा सकता है।
डिजाइन में खामी होने के कारण नेशनल हाईवे को बंद करने के लिए प्रशासन को मंजबूर होना पड़ा था। हजारों लोगों के लिए यह ‘बैरिकेड’ सिरदर्द बन चुका था। कम से कम नए रैंप के बनने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि यह समस्या खत्म होगी और मार्ग को सीधे जाने के लिए खोला जा सकेगा। अच्छी बात यह है कि एलआईसी चौक में फ्लाईओवर उतारने के विकल्प पर ध्यान नहीं दिया गया है। अगर प्रस्तावित फ्लाईओवर को एलआईसी चौक पर उतारा जाता, तो यहां की स्थिति भी बहुत अधिक खराब हो सकती थी। यही कारण है कि मेट्रो के नीचे से कस्तूरचंद पार्क के ऑप्शन पर ध्यान दिया गया।
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सही मायने में कहा जाए तो इस बैरिकेट के कारण कामठी रोड फ्लाईओवर का सदउपयोग नहीं हो पा रहा था। लोग एनआईटी से यू-टर्न मारने के स्थान पर सीधे सदर की ओर से कामठी जाने के विकल्प को ही प्राथमिकता देते थे, इसलिए कामठी रोड में ट्रैफिक नाम की कोई चीज ही नहीं दिखाई देती थी। अब इसका इस्तेमाल काफी लोग कर सकेंगे।
कामठी रोड फ्लाईओवर की लंबाई 5.3 किलोमीटर है। इतने में कई बड़ी-बड़ी बस्तियां आती हैं। उनके लिए यह फ्लाईओवर अनुपयोगी हो गया है। पीली नदी से वापस आना उनके लिए कोई विकल्प नहीं है। ऐेसे में क्षेत्र के लोगों का मत है कि इस फ्लाईओवर पर भी एक-दो स्थानों पर रैंप का निर्माण होना चाहिए था। अगर ऐेसा होता तो मोहननगर, गड्डीगोदाम, इंदौरा, कड़वी चौक, जरीपटका सहित एक बहुत बड़े भू-भाग में रहने वालों को बड़ी सहूलियत हो जाती।