
मतदान करने पहुंचे नागरिक
नागपुर. वोट परसेंट जारी होने के बाद यह आशंका सही साबित हो रही है कि शहर के उच्च शिक्षित और धनाढ्य लोगों ने राष्ट्रीय कर्तव्य को छोड़कर कुछ पल के मनोरंजन को तवज्जो दी. लोग पिकनिक पर निकल गए लेकिन वोट डालने की जहमत नहीं उठाई. यह जनता के लिए ही ठीक नहीं है. प्रशासन को भी इसी कारण पसीना छूट रहा था और उसने टूर ऑपरेटरों को भी हिदायत दे रखी थी लेकिन सब कुछ धरा का धरा रह गया.
जिस प्रकार से वोटिंग का आंकड़ा सामने आया है वह यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि 3 दिनों की छुट्टी को लोगों ने प्राथमिकता दी. कोई पिकनिक पर गया तो किसी ने परिवार के साथ मिलने को महत्व दे दिया. शहर में कई परिवार ऐेसे भी देखे गए जिन्होंने एक वोट के लिए हजारों रुपये खर्च किए और अपने बेटे-बेटियों को मुंबई और पुणे से आकर नागपुर में वोट डालने को कहा किंतु नागपुर में रहने वाले एक बड़े वर्ग ने एक बड़े अवसर को अपने हाथ से जाने दिया.
सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर
वोटिंग परसेंट आने के तत्काल बाद हमेशा की तरह सोशल मीडिया पर ‘ज्ञान’ देने वाले सक्रिय हो गए. कोई नदारद रहे वोटरों पर गुस्सा निकाल रहा था तो कोई प्रशासन को खरी-खोटी सुना रहा था. किसी ने ‘ज्ञान’ दिया कि वोट को अनिवार्य बना दिया जाना चाहिए, अन्यथा बिजली, पानी, राशन, गैस जैसी सब्सिडी बंद कर दी जानी चाहिए. जो भी हो निश्चित है नागपुर के वोटरों ने निराश ही किया.
पॉश इलाकों के बूथों पर सन्नाटा
पॉश इलाकों में ‘सुबह हो या शाम’ सन्नाटा ही पसरा हुआ देखा गया. खाली बूथ ही सभी कुछ बयां कर रहे थे. लोगों की ‘आलसी सोच’ राष्ट्र हित पर भारी पड़ गई.






