डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल के वार्ड होने लगे खाली (नवभारत फोटो)
नागपुर: मेडिकल, मेयो और एम्स में निवासी डाॅक्टरों की हड़ताल जारी है। इस बीच सरकार की सेंट्रल मार्ड के साथ होने वाली चर्चा मुख्यमंत्री के दौरे में व्यस्त होने के चलते स्थगित हो गई। मार्ड का आरोप है कि सरकार भी मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। पिछले सप्ताहभर के भीतर राज्य के अलग-अलग मेडिकल कालेजों में डाॅक्टरों के साथ मारपीट की घटनाओं ने आग में घी डालने का काम किया है। इस बीच नर्सों के संगठन ने भी विरोध प्रकट करते हुए काली फीत लगाकर काम किया। वहीं अगले सप्ताह से एकघंटा काम बंद आंदोलन की चेतावनी दी है।
डाॅक्टरों की कमी के चलते केवल इमरजेंसी सेवाएं ही दी जा रही है। स्थिति यह होने लगी है कि अब मरीज छुट्टी लेकर घर या अन्य अस्पतालों में जाने लगे हैं। कुछ वार्डों में तो आधे बेड खाली नजर आ रहे हैं। पहले एक्स-रे, सोनोग्राफी और एमआरआई के लिए मरीजों की लंबी कतार लगी रहती थी, लेकिन अब यह भीड़ भी धीरे-धीरे कम होने लगी है। ओटी में पहले से ही मरीजों की संख्या कम हुई है, लेकिन अब ओपीडी भी घटने लगी है। वार्ड वरिष्ठ डाॅक्टर और नर्सों के भरोसे हो गये हैं। सबसे अधिक दिक्कतें रात के वक्त आ रही है। इसमरजेंसी होने पर परिजनों को कैजुवल्टी में जाना पड़ता है। वार्ड में डाॅक्टर नहीं आते।
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सेंट्रल मार्ड के अध्यक्ष डाॅ. प्रतीक देबाजे ने बताया कि बुधवार को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के साथ मुंबई में बैठक होने वाली थी, लेकिन मुख्यमंत्री का दौरा होने के कारण उपलब्ध नहीं हो सके। अब गुरुवार का समय मिला है। इस बीच अंबेजोगाई और सोलापुर में भी डाॅक्टरों की घटनाएं सामने आई हैं। यदि इस तरह की घटनाएं राज्य में भी होती रहे तो आखिर डाॅक्टर काम कैसे करेंगे। इन घटनाओं से भय का वातावरण बन गया है। सरकार को चाहिए कि मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द सकारात्मक निर्णय लें।
कोलकाता की घटना के साथ ही राज्य के बदलापुर और उत्तराखंड में नर्स पर अत्याचार की घटना के विरोध में बुधवार को नर्स संगठन की ओर से विरोध प्रकट किया गया। मेडिकल अस्पताल की नर्सों ने काली फीत लगाकर विरोध प्रकट किया। भविष्य में आंदोलन की भी चेतावनी दी है। इस बीच दोपहर के वक्त नर्सों की ओर से गेट मीटिंग आयोजित की गई।
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नर्सों का कहना है कि सरकार द्वारा ठोस उपाय योजना आवश्यक है। बार-बार होने वाली घटनाओं से भय का माहौल बन गया है। महाराष्ट्र राज्य नर्सिंग संगठन मुख्यालय द्वारा 21 से 25 अगस्त तक काली फीत लगाकर विरोध करने और 26 व 27 अगस्त को 1 घंटे काम बंद आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद भी सरकार द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उपाय योजना नहीं की गई तो फिर आंदोलन की अगली दिशा तय की जाएगी।