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नागपुर. साइबर क्रिमिनल लोगों को ठगने के लिए आए दिन नये-नये पैंतरे आजमा रहे हैं लेकिन अच्छी बात है कि जनजागृति से लोग सावधान भी हो रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया. कामगारनगर निवासी शकील अहमद के घर पर 8 जनवरी को स्पीड पोस्ट से एक लिफाफा आया. लिफाफा खोलने पर अमेज़न कंपनी के लेटर हेड पर एक पत्र मिला जिसमें जानकारी दी गई थी कि कंपनी अपनी 8वीं वर्षगांठ मना रही है. अपने ग्राहकों को स्क्रैच कूपन द्वारा इनाम बांट रही है. शकील ने कूपन स्क्रैच किया तो 7.50 लाख रुपये का इनाम लगने का पता चला. लेटर पर वाट्सएप नंबर भी दिया गया था. कुछ दिन पहले ही उन्होंने साइबर पुलिस स्टेशन का एक वेबिनार देखा था जिसमें इस प्रकार के ठगी के बारे में जनजागृति की गई थी.
शकील को सारा माजरा समझ आ गया. फिर भी नया फंडा जानने के लिए उन्होंने नंबर पर कॉल किया. फोन उठाने वाले ने उनसे कूपन का कोड पूछा और 7.50 लाख रुपये का इनाम लगने की जानकारी दी. कुछ ही मिनटों में रकम उनके खाते में जमा हो जाएगी कहकर बैंक खाते का नंबर लिया. शकील ने बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर न देते हुए दूसरे नंबर से कॉल किया था. 10 मिनट बाद उसी नंबर पर एक मैसेज आया जिसमें बैंक खाते में राशि जमा होने की जानकारी दी गई थी. बाद में बताया गया कि सर्विस टैक्स के तौर पर 7,500 रुपये जमा करने पर ही राशि खाते में जमा होगी. इसके लिए खाता नंबर भी दिया गया लेकिन शकील पहले ही इस तरह की ठगी से अवगत थे और शिकार होने से बच गए.
इस बारे में साइबर पुलिस स्टेशन के एपीआई केशव वाघ से चर्चा करने पर बताया कि साइबर ठगी से बचने का एक ही उपाय है और वह है सतर्कता. पुलिस लगातार नागरिकों को जागरूक करने के लिए वेबिनार ले रही है. अब तक लाखों लोगों तक संदेश पहुंच चुका है. यही कारण है कि ऑनलाइन साइबर फ्रॉड की शिकायतों में कमी आई है. वर्ष 2020 तक लगातार साइबर ठगी के मामलों में 1,200 शिकायतों का इजाफा हो रहा था लेकिन वर्ष 2021 में 868 मामले कम हुए है. हर वर्ष जो 1,200 शिकायतें बढ़ रही थीं उस पर भी रोक लग गई. इसका मतलब है कि 2,068 मामले कम हुए हैं. यह केवल जनजागृति से ही संभव हो पाया है. शकील की तरह ही सभी को व्यवहार करते हुए सावधान रहना चाहिए. लालच में लोग ठगी का शिकार होते हैं.
साइबर ठगी का शिकार होने के बाद लोग शिकायत करने में देरी करते हैं. ठग के खाते में रकम जमा होने के बाद राशि वापस मिलने की संभावना नहीं के बराबर होती है लेकिन जो लोग समय पर शिकायत करते हैं उन्हें राहत भी मिलती है. बीते वर्ष पुलिस ने साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों को 1.71 करोड़ रुपये वापस दिलाए हैं. आरोपी के खाते में रकम जाने से रोक दी गई. तकनीकी जांच की मदद से पुलिस ने 386 लोगों को गुम हुए मोबाइल भी वापस दिलाने का काम किया है.
– वाघ ने बताया कि ऑनलाइन साइबर फ्रॉड में 3 घंटे का गोल्डन पीरियड होता है. यदि उस समय शिकायत कर दी जाए तो रकम वापस मिलने की चांस ज्यादा होते हैं.
– हर मोबाइल बैकिंग और पेमेंट एप्लिकेशन में कोई भी गैर व्यवहार होने पर तुरंत रिपोर्ट करने की सुविधा होती है लेकिन लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते.
– अपने मोबाइल पर बैंक द्वारा भेजे जाने वाले सभी नोटीफिकेशन पर ध्यान दें. लोग ऑफर वाले मैसेज समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसा कुछ होने पर तुरंत बैंक के कस्टमर केयर को फोन करें.
– कोई भी फ्रॉड होने पर बैंक स्टेटमेंट के साथ पहले संबंधित बैंक शाखा और फिर नजदीकी पुलिस स्टेशन की साइबर सेल या साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत करें.
– किसी भी प्रकार ऑटोमेटिक ट्रांजेक्शन होने पर बैंक में डिस्प्युट फार्म अवश्य भरें. समय रहते ऐसा करने पर राशि वापस मिल सकती है.