
नरखेड़ (सौजन्य-नवभारत)
Narkhed Development: खेत-खलिहानों से समृद्ध यह शहर आज भी तहसील मुख्यालय के रूप में मान्यता तो रखता है, परंतु आवश्यक सुविधाओं और योजनाओं के अभाव में इसका विकास पिछड़ता दिख रहा है। कुछ वर्ष पहले तक नरखेड़ का संतरा मार्केट विदर्भ में सबसे सक्रिय माना जाता था। किसान संतरा बेचने के बाद पूरे शहर के बाजारों में खरीदारी करते थे।
जिससे आर्थिक व्यवहार निरंतर बढ़ता था। उस दौर में नरखेड़ का बाजार समीप के पांढुरना और काटोल शहरों से बड़ा और अधिक सक्रिय था।परंतु, समय बदलते ही संतरा मार्केट को शहर के किनारे से हटाकर रेलवे लाइन के पार ले जाया गया, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा।
नरखेड़ के लोग बताते हैं कि राजकीय निर्णयों ने शहर की प्रगति को प्रभावित किया। काटोल-पांढुरना राजमार्ग को नरखेड़ से ले जाने के बजाय सावरगांव की ओर मोड़ दिया गया, जिससे शहर मुख्य यातायात मार्ग से कट गया। परिणामस्वरूप, व्यापार, यात्रियों का प्रवाह और निवेश, तीनों घटते गए।
शहर तहसील मुख्यालय होने के बावजूद यहां उच्च स्तरीय विद्यालय, कॉलेज और प्रशिक्षण संस्थान विकसित नहीं हुए। शैक्षणिक स्तर बिगड़ने के कारण बड़ी संख्या में विद्यार्थी पड़ोसी शहरों में पढ़ाई के लिए जाते है। इससे आबादी में भी निरंतर कमी देखी जा रही है।
नरखेड़ वारकरी संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। शहर के संत परंपरा में प्रतिष्ठित शांति ब्रह्म परमपूज्य मारुति बाबा महाराज कुरेकर आलंदी के जोग महाराज शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष रहे हैं और संस्थान आज भी उन्हें अमूल्य धरोहर मानकर कार्यरत है।
धार्मिक दृष्टि से इतने महत्वपूर्ण शहर के विकास के लिए आज तक राज्य स्तर की कोई विशेष योजना नहीं बनी। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि नरखेड़ को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, जिससे राज्यभर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आएं और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो।
शहर रेलवे जंक्शन होने के बावजूद अधिकांश प्रमुख ट्रेनों को आज तक यह स्टॉपेज नहीं मिल पाया। औद्योगिक क्षेत्र के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध, परंतु कोई उद्योग स्थापित नहीं किये गये। बच्चों और युवाओं के लिए खेल स्टेडियम या मैदान का अभाव। शहर को राष्ट्रीय महामार्ग से जोड़ने की पुरानी मांग अब भी अनसुनी। चुनाव में राष्ट्रीय नेता द्वारा राष्ट्रीय महामार्ग बनाने का आश्वासन दिया, लेकिन तीसरी बार चुनाव हो रहे परंतु अभी तक राष्ट्रीय महामार्ग बनेगा कि नहीं पता नहीं।
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विशेषज्ञों के अनुसार नरखेड़ को आगे बढ़ाने के लिए पांच प्रमुख कदम आवश्यक हैं :
1. राष्ट्रीय महामार्ग से कनेक्टिविटी।
2. संतरा मार्केट को फिर से व्यवस्थित और आधुनिक बनाना।
3. शैक्षणिक संस्थानों का विस्तार और कौशल्य विकास केंद्र।
4. धार्मिक पर्यटन सर्किट में नरखेड़ को शामिल करना।
5. रेलवे स्टॉपेज और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देना।
नरखेड़ भले ही आज एक छोटा और शांत शहर दिखाई देता हो, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं छिपी हैं। उचित योजनाएं, राजनीतिक इच्छाशक्ति और पर्यटन-शिक्षा-व्यापार के सही विकास मॉडेल अपनाए जाएं तो नरखेड़ एक बार फिर विदर्भ का महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र बन सकता है।






