नागपुर जिला परिषद (फाइल फोटो)
Nagpur News: जिला परिषद के सर्कल आरक्षण में जिले के ग्रामीण भागों के कुछ दिग्गज नेताओं के सपने टूट गए हैं तो किसी की चांदी भी हुई है। जैसा माहौल नजर आ रहा है उससे यह कयास लग रहे हैं कि कहीं दिग्गज आपस में टकराएंगे तो कहीं अपनी महत्वाकांक्षा पूरा करने के लिए सर्कल भी बदला जाएगा।
खासकर वे दिग्गज जिन्हें जिला परिषद अध्यक्ष बनने की खासी इच्छा है या वे भी जो चुनाव जीतकर उपाध्यक्ष या सभापति की कुर्सी कब्जाना चाहते हैं। इनमें भाजपा, कांग्रेस, राकां के अनेक सीनियर सदस्यों के नाम शामिल हैं। हालांकि पार्टियां इस बार नये व युवा चेहरों को मौका देने के मूड में हैं लेकिन कुछ अनुभवी सीनियरों को भी साथ रखा जाएगा।
आगामी चुनाव में नये सर्कल रिधोरा में दो दिग्गज टकरा सकते हैं। इस सीट से सलिल देशमुख और पूर्व जिप उपाध्यक्ष चंद्रशेखर चिखले की करारी टक्कर देखने को मिल सकती है। बता दें कि मेटपांजरा सर्कल के चंद्रशेखर चिखले संयुक्त राष्ट्रवादी पार्टी की टिकट से चुनाव जीते थे और कांग्रेस-राकां गठबंधन में उन्हें जिला परिषद उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन बीते चुनाव में चिखले का पत्ता पूर्व गृह मंत्री के बेटे सलिल देशमुख के लिए काटा गया।
सलिल को मेटपांजरा सीट से चुनाव मैदान में उतारकर जेडपी के सभागृह में भेजा गया। तभी से चिखले नाराज चल रहे थे लेकिन पार्टी में बने हुए थे। मेटपांजरा में चिखले परिवार की दशकों से अच्छी सामाजिक व राजनीतिक पकड़ रही है। जब विधानसभा चुनाव में भी सलिल को उम्मीदवारी दी गई थी तब अनेक कार्यकर्ताओं ने इसे पुत्र मोह बताया था।
नाराज चिखले ने पार्टी छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने नेता पर जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को साइड करने का आरोप लगाया था। नई सर्कल रचना में मेटपांजरा सर्कल की जगह रिधोरा ने ले ली है। यहां से चिखले भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने वाले हैं। अगर सलिल इस सीट से उतरे तो दोनों का मुकाबला रोमांचक होगा।
कामठी विधानसभा क्षेत्र के वडोदा सर्कल से कांग्रेस की अवंतिका लेकूरवाले जीती थीं और महिला व बाल कल्याण सभापति बनी थीं। इस बार उनकी सीट सुरक्षित है जिसके चलते वे फिर मैदान में होंगी। भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गजों को घेरने के लिए अपनी अलग ही रणनीति बनाई है। चर्चा है कि सीनियर सदस्यों को कांग्रेस के दिग्गजों के खिलाफ उतारा जाएगा।
भाजपा के अनुभवी सदस्य अनिल निधान का सर्कल आरक्षण की भेंट चढ़ गया है। उन्हें जिला परिषद अध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा है। इसलिए वे दूसरा सर्कल खोज रहे हैं। संभावना है कि लेकूरवाले के खिलाफ वे इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनौती होगी।
इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद ओबीसी ओपन वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। इसी के चलते भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के कुछ सीनियर सदस्य किसी भी सूरत में चुनाव लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपायी हुए पूर्व जिप उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे को भाजपा ने 3 विस क्षेत्रों का जिलाध्यक्ष बनाया है। आनंदराव राऊत दूसरे जिलाध्यक्ष हैं। दोनों ही जिप अध्यक्ष पद के पक्के दावेदार माने जाते हैं।
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आनंदराव राऊत का सर्कल महिला आरक्षण की बलि चढ़ गया है। वे अपनी पत्नी को चुनाव में उतारने का प्रयास करेंगे। कुंभारे के दोनों सर्कल भी महिला आरक्षण की भेंट चढ़ गए हैं। उनकी पत्नी पूर्व उपाध्यक्ष सुमित्रा कुंभारे अपने पुराने सर्कल से चुनाव लड़ेंगी लेकिन इस बार वे कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा की टिकट से लड़ेंगी। चर्चा है कि खुद मनोहर कुंभारे समीप के बड़ेगांव सर्कल से अपने लिए जुगाड़ लगाने का प्रयास कर सकते हैं।
शिवसेना के एकमात्र सदस्य संजय झाड़े भी दूसरे सर्कल चाचेर से चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं। उनका सोनघाट सर्कल आरक्षण की चपेट में आ गया है। जिप में विरोधी पक्षनेता रहे भाजपा के आतिश उमरे की जगह उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती हैं। ऐसा ही हाल कांग्रेस के मिलिंद सुटे, राजकुमार कुसुंबे, प्रकाश खापरे, राकां के दिनेश बंग का भी है। कहां दिग्गज टकराएंगे और कौन-कौन सर्कल बदलकर चुनाव लड़ेगा, इस पर चर्चा जोरों पर शुरू है।