चुनौतियों से भरा विवि का ‘ताज’ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur University: डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक खाली रहे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति का पद अब नई नियुक्ति के साथ भर गया है। नई उपकुलपति डॉ. मनाली क्षीरसागर को विश्वविद्यालय की अनेक अटकी परियोजनाओं, शैक्षणिक योजनाओं और वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय के 25वें नियमित उपकुलपति के रूप में नियुक्त डॉ. क्षीरसागर ने जिम्मेदारी ऐसे समय संभाली है, जब पिछले कई महीनों तक प्रभारी उपकुलपति के भरोसे प्रशासन चला।
सबसे पहले प्र-उपकुलपति की नियुक्ति की जाएगी, उसके बाद चारों संकायों के अधिष्ठाताओं और प्रबंधन परिषद के खाली पदों की नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। हालांकि विश्वविद्यालय ने पिछली व्यवस्थाओं में विभिन्न संस्थाओं के साथ एमओयू किए हैं, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं दिखाई दिया। पुरानी योजनाएँ पुराने ढर्रे पर चल रही हैं, और नई शिक्षा नीति के बावजूद स्नातकोत्तर विभागों में सभी सीटें नहीं भर पातीं।
डॉ. विलास चौधरी द्वारा शुरू की गई कई योजनाएँ अब तक केवल कागजों पर ही हैं। कर्मचारियों और अधिकारियों के खाली पद, विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति और कॉलेजों के ऑटोनॉमस होने के कारण करीब 4 करोड़ रुपये की वार्षिक आय पर असर पड़ा है। परीक्षा फीस से हर वर्ष 35 करोड़ रुपये आते हैं, जबकि खर्च इससे अधिक हैं। फिलहाल 900 करोड़ रुपये की एफडी से मिलने वाला ब्याज बड़ा सहारा है, लेकिन इसे विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था पर निर्भर करना उचित नहीं माना जा रहा।
सॉफ्टवेयर कंपनी बदलने के बाद प्रशासनिक व्यवस्था को पटरी पर लाना भी एक चुनौती है। इनकम बढ़ाने के उपायों के लिए गठित समिति की छह वर्षों में केवल दो बैठकें हो सकीं।
ये भी पढ़े: चुनाव आयोग की गड़बड़ी से टला नगर परिषद व पंचायत चुनाव परिणाम: चंद्रशेखर बावनकुले
डॉ. क्षीरसागर के लिए सीनेट की पहली बैठक 5 दिसंबर को होगी। इस बैठक में प्रस्तावों पर चर्चा और सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर देना होगा। पिछली बैठक की एक्शन टेकन रिपोर्ट पर भी सदस्यों के सवाल प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। यह बैठक नई उपकुलपति के प्रशासनिक कौशल और निर्णय क्षमता का पहला परीक्षण मानी जा रही है।