
4,815 परिवारों को मालिकी पट्टों का इंतजार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Slums: नागपुर शहर के लगातार बढ़ते विस्तार, आवास की ऊंची कीमतें और वोट बैंक की राजनीति जैसे कारणों से उपराजधानी में कुल 426 झोपड़पट्टी बस्तियां विकसित हो चुकी हैं। इनमें से 298 झोपड़पट्टियां घोषित हैं, जबकि 128 अघोषित हैं।
महानगरपालिका द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार घोषित 298 झोपड़पट्टियों में 1,17,077 झोपड़े स्थित हैं, जहां 6,71,336 लोग निवास करते हैं। वहीं 128 अघोषित बस्तियों में 18,966 झोपड़े दर्ज हैं, जिनमें 1,23,154 नागरिक रहते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में मनपा ने अब तक 2,210 घोषित झोपड़ीधारकों को मालिकाना हक के पट्टे वितरित किए हैं, जबकि 4,815 झोपड़पट्टीधारकों को अभी भी इन पट्टों की प्रतीक्षा है।
जानकारी के अनुसार झोपड़पट्टियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और 2015 के बाद किसी व्यापक सर्वेक्षण के अभाव में इनकी संख्या दोगुनी तक हो चुकी है। 128 अघोषित झोपड़पट्टियों के समानांतर कई नई बस्तियां तैयार हो गई हैं, जिनका कोई भी रिकॉर्ड मनपा के स्लम विभाग में उपलब्ध नहीं है। सरकारी एजेंसियों द्वारा अपनी भूमि सुरक्षित रखने में विफल रहने के कारण इन झोपड़पट्टियों का विस्तार लगातार जारी है। भूमि के बढ़ते भाव, जनसंख्या वृद्धि और वोट बैंक की राजनीति इस बढ़ोतरी के प्रमुख कारण बताए जाते हैं।
कुल 426 घोषित और अघोषित झोपड़पट्टी बस्तियां विभिन्न सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी संस्थाओं की भूमि पर स्थित हैं। इनमें: सबसे अधिक झोपड़पट्टियां मालिक मकबुजा (91) की भूमि पर इसके बाद मिश्र मालिकी (90), और एनआईटी (85) की भूमि पर स्थापित हैं।
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| मालिकी | घोषित | अघोषित | कुल |
|---|---|---|---|
| महानगरपालिका | 14 | 1 | 15 |
| राज्य सरकार | 38 | 12 | 50 |
| एनआईटी | 51 | 34 | 85 |
| मिश्र मालिकी | 61 | 29 | 90 |
| मालिक मकबुजा | 78 | 13 | 91 |
| निजी मालिकी | 33 | 19 | 52 |
| झुड़पी जंगल | 9 | 6 | 15 |
| पीकेवी | 2 | 6 | 4 |
| रेलवे | 6 | 6 | 12 |
| विश्वविद्यालय | 1 | 2 | 3 |
| कार्गो हब | 1 | 0 | 1 |
| नाग नाला | 4 | 4 | 8 |
| कुल | 298 | 128 | 426 |






