
नागपुर प्रभाग 11 (डिजाइन फोटो)
Nagpur News: नागपुर में अनंत नगर, राठौड़ से आऊट, महेश नगर, गोरेवाड़ा, बरडे ले आऊट, झिंगाबाई टाकली, जाफर नगर, अहबाब कालोनी औऱ गोरेवाड़ा रिंग रोड के पीछे बसी कई नई बस्तियों को मिलाकर बने प्रभाग-11 में वैसे तो 450 के करीब लेआउट हैं किंतु इनमें से कुछ ही लेआउट महानगरपालिका को हस्तांतरित किए गए हैं। यही कारण है कि अधिकांश कार्यों के लिए लोगों को प्रन्यास का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
भले ही लोगों को सरकारी कामों के लिए अधिकांशत: प्रन्यास जाना पड़ता हो किंतु पार्षद के रूप में मनपा से भी निधि लेकर अब तक विकास के काम भी किए हैं। प्रभाग में भाजपा का अब तक वर्चस्व रहा है जिसमें भूषण शिंगणे जैसे पूर्व पार्षद कुछ समय के लिए प्रन्यास में ट्रस्टी भी रहे हैं जिसका प्रभाग को निश्चित ही लाभ हुआ है।
इसी तरह से उपमहापौर रहे संदीप जाधव ने मनपा की स्थायी समिति से काफी निधि इस प्रभाग के विकास के लिए दी है जिससे 1900 और 572 लेआउट में अधिकांश हिस्सा होने के बावजूद सड़कों का नेटवर्क, बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो पाई हैं। प्रभाग में ताकतवर रहे पार्षद के कारण यहां 4-4 बगीचों का निर्माण हो सका है।
खंडहरनुमा कई क्षेत्रों को विकसित किए जाने के कारण सिटी के किसी भी हिस्से से कम नहीं होने का दावा पूर्व पार्षदों ने किया है। जानकारों की मानें तो अब यह प्रभाग हाई प्रोफाइल हो चुका है जहां पर निकट भविष्य में दिग्गजों को चुनाव लड़ते देखा जा सकेगा।
एक ओर जहां भाजपा के पूर्व पार्षद भले ही विकास का राग अलाप रहे हों लेकिन विपक्षी दलों के तथा विशेष रूप से दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों का मानना है कि प्रभाग में विकास नहीं बल्कि राजनीति होती है। वहीं सिलसिला भविष्य में भी जारी रहेगा। भले ही प्रभाग में चारों पूर्व पार्षद भाजपा के हों लेकिन काफी हिस्सा अभी भी अविकसित है। कुछ इलाकों में डामरीकरण कर सड़कों की लीपापोती की गई है।
अन्य हिस्सों में सीमेंट की चौड़ी सड़कों का जाल है। यहां केवल कुछ ही मुख्य सड़कें सीमेंट की बनी हैं। मध्यम वर्ग का कुछ हिस्सा है जहां बच्चों के लिए शिक्षा का विकल्प नहीं है। मनपा का दायित्व है कि लोगों को मूलभूत सुविधाओं के साथ ही बच्चों को प्राथमिक शिक्षा भी प्रदान कराए किंतु आलम यह है कि केंद्र से लेकर मनपा तक भाजपा की सत्ता होने के बावजूद लंबे अरसे से मनपा का स्कूल बंद पड़ा है।
बंद स्कूल की हालत अब खंडहर से कम नहीं है। पश्चिम नागपुर के बाकि पिछड़े इलाकों सहित इस प्रभाग में भी विधायक विकास ठाकरे की जागरूकता से ही विकास काम हो पाए हैं। इसी वजह से उन्हें विधानसभा चुनाव में जीत भी हासिल हुई थी। कांग्रेस और विपक्ष के संभावित उम्मीदवार भी इस भरोसे ही मैदान में जुटे हुए हैं।
| जीतेने वाले प्रत्याशी | वोट्स | दूसरे नंबर के प्रत्याशी | वोट्स |
|---|---|---|---|
| संदीप जाधव | 12,025 | स्वप्निल पातोडे | 8,119 |
| संगीता गिर्हे | 13,041 | प्रणाली मानमोडे | 8,930 |
| अर्चना पाठक | 10,858 | वैशाली बरडे | 8,711 |
| भूषण शिंगणे | 10,045 | सैयद ओवैसी कादरी | 7,693 |
कांग्रेस :- शैलेश पांडे, स्वप्निल पातोडे, वैशाली बरडे, सैयद कादरी, सुभाष मानमोडे, बंडू ठाकरे, गणेश चाचेरकर, राम कलम्बे, आनंद तिवारी, काइमीन रूमवी, गौसुद्दीन,
भाजपा :- दयाशंकर तिवारी, संदीप जाधव, संगीता गिर्हे, अर्चना पाठक, भूषण शिंगणे, अमर खोडे, पूजा यादव, विनय कड़ू, रेखा दहिने
बसपा :- सुभाष सरोदे, अविनाश वाहने, फरजाना परवीन, सुनीता कलंबे, सुरेश धमगाए।
| वर्ग | संख्या |
|---|---|
| कुल जनसंख्या | 71,151 |
| अनुसूचित जाति (SC) | 8,935 |
| अनुसूचित जनजाति (ST) | 3,231 |
| ओबीसी (OBC) | 20,000 |
| मुस्लिम | 18,000 |
| हिन्दीभाषी | 12,000 |
11-अ अनुसूचित जनजाति (पुरुष)
11-ब ओबीसी (महिला)
11-क सर्वसाधारण (महिला)
11-ड सर्वसाधारण (पुरुष)
2017 के आम चुनावों में प्रभाग-11 में राकां का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। हालांकि प्रभाग की किसी भी सीट पर दूसरा नंबर भी हासिल नहीं हो पाया है किंतु वोट बटोरने में अच्छी सफलता हासिल हुई है। वर्ष 2017 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एकजुट थी किंतु अब इसमें दो फाड़ हो चुके हैं। यही कारण है कि अब किसी भी दल के पास इच्छुकों के नाम तक नहीं है जिससे पार्टी मुश्किल में है।
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस का कोई भी गुट चुनाव मैदान में उतरे, वह भाजपा को ही लाभ पहुंचाता है। अब राकां का अस्तित्व खत्म हो जाने से विपक्ष के वोटों का बंटवारा होना मुश्किल है। पिछली बार हर सीट पर राकां के प्रत्याशियों द्वारा लिए गए वोटों के कारण ही कांग्रेस किसी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। वोट बंटने का लाभ ही भाजपा को हुआ था। अन्यथा किसी भी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर सकती थी।
प्रभाग-11 में जिस तरह से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का निश्चित ही कुछ जनाधार है उसी तरह से चौथी शक्ति के रूप में बहुजन समाज पार्टी का भी यहां एक वोट बैंक है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशियों ने भी प्रत्येक प्रभाग में 4 अंकों में ही वोट हासिल किए हैं।
चौथी शक्ति होने के कारण ही जिस तरह से राष्ट्रवादी के प्रत्याशी होने के कारण कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ता है, उसी तरह से एक वर्ग के वोट बसपा द्वारा ले जाने से भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ता है। जिस तरह से राष्ट्रवादी बंट गई है उसी तरह से बसपा में भी अंदरखाने काफी खींचतान चल रही है। भविष्य में कांग्रेस को इसका लाभ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पूरे सिटी में यह अकेला प्रभाग है, जहां हिन्दी भाषी वोट निर्णायक होते हैं। विधानसभा चुनाव में भी हिन्दी भाषी वोटरों ने लीक से हटकर विकास ठाकरे को इसलिए वोट दिया था, क्योंकि वे हमेशा हिन्दी भाषी वोटरों के सुख-दुख में खड़े रहते हैं। यही समीकरण इस बार भी चलने वाला है। दलगत राजनीति से उपर उठकर और हिन्दी-मराठी का समीकरण साधकर जो पार्टी उम्मीदवार देगी, उसके हिसाब से मतदाता फैसला करने वाले हैं।






