नागपुर पुलिस की कड़ी नज़र (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: उपराजधानी में वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों पर पुलिस की पैनी नजर है। पुलिस ने संवेदनशील और सुरक्षा कारणों से इस मामले को गोपनीय रखा है। हालांकि, कार्रवाई तेज कर दी गई है और खुफिया विभाग और हर थाने की पुलिस टीम उन पर नजर रख रही है। वीजा पर आए ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक सिंध प्रांत के हैं। इनमें से ज्यादातर जरीपटका इलाके में रहते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नया कानून बनाया है। इस कानून के तहत अब तक जिले में 924 लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है। वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों में सबसे ज्यादा संख्या जरीपटका थाने की है। पुलिस ने 18 पाकिस्तानियों की पहचान कर सभी से आवेदन भरवाए हैं।
आवेदन में कहा गया है कि हम भारत सरकार के आदेशानुसार पाकिस्तान वापस जा रहे हैं। इस आवेदन में विस्तृत जानकारी दी गई है। पूरी जानकारी से भरे आवेदन विशेष शाखा को सौंप दिए गए हैं। नागपुर में सभी पाकिस्तानी नागरिकों के दस्तावेजों और वीजा की स्थिति की जांच करने के लिए शहर की पुलिस 24 घंटे काम कर रही है। स्थानीय पुलिस थानों के अधिकारियों को उनकी हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संबंधित इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस की विशेष शाखा भी इन लोगों पर नजर रख रही है।
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मिनी स्विट्जरलैंड पहलगाम में घात लगाए बैठे आतंकियों ने पर्यटकों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस कायराना हमले में 28 लोगों की मौत हो गई। इस पृष्ठभूमि में केंद्रीय रक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक में सार्क वीजा पर भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने का निर्णय लिया गया है और उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने की चेतावनी दी गई है। इस बीच जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन मुस्तैद है और मेडिकल और बिजनेस वीजा पर शहर आए पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से नागपुर आए 756 नागरिकों को नागरिकता मिल गई, जबकि 721 सिंधी भाई नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। यह जानकारी भारतीय सिंध मुक्त संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. विजय केवलरमानी ने ताभा से बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में जिला कलेक्टर को एक बयान सौंपेंगे। उन्होंने सिंधी भाइयों के लिए भी लड़ाई लड़ी थी। 1980 में 400 सिंधी भाइयों को नागरिकता दी गई थी। उन्होंने सिंधी भाइयों के लिए भी लड़ाई लड़ी। हमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 पर पूरा भरोसा है और हमें विश्वास है कि उन्हें भी जल्द ही न्याय मिलेगा, ऐसा प्रो. विजय केवलरमानी ने व्यक्त किया।