यातायात पुलिस को चकमा देकर ‘शराबियों’ का यूटर्न (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Traffic Police: शराबी वाहन चालकों के कारण शहर में हो रहीं सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए यातायात पुलिस द्वारा ऑपरेशन यूटर्न की शुरुआत की गई है। पुलिस का मानना है कि ड्रंकन ड्राइव की कार्रवाई से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, जबकि कार्रवाई शुरू होने से पहले ही पिछले वर्ष की तुलना 22 प्रतिशत हादसे कम होने की जानकारी दी गई। पुलिस का ड्रंकन ड्राइव अभियान कुछ नया नहीं है। पुलिस पहले भी शराब पीकर वाहन चलाने वालें चालकों को पकड़ती थी। कोरोना के पहले तो पकड़े जाने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी। महामारी फैलने के बाद ड्रंकन ड्राइव की कार्रवाई कम हो गई।
अब पुलिस ने दोबारा नई बोतल में पुरानी शराब डालकर ऑपरेशन यूटर्न शुरू किया है लेकिन पुलिस से ज्यादा ‘शराबी’ ऑपरेशन में सक्रिय दिख रहे हैं। पुलिस को देखते ही यूटर्न लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं। केवल सिटी की बात की जाए तो 300 से ज्यादा परमिट रूम (बियर बार) चल रहे हैं। वहीं पुलिस की कार्रवाई का आंकड़ा 30 के आसपास ही बना हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई में यह कार्रवाई एक अभियान की तरह चल रही है? रोज शाम को बियर बार खचाखच भरे रहते हैं। यहां बड़ी संख्या में शराबियों का जमावड़ा रहता है। बार के सामने खड़े वाहनों से अंदर की भीड़ का अनुमान लगाया जा सकता है तो बार से झूमकर निकलने वाले शराबी गायब कहां हो जाते हैं?
केवल शिवाजीनगर, गोकुलपेठ और धरमपेठ परिसर की बात की जाए तो यहां 10 पब लाउंज हैं। पूरा सप्ताह छोड़ भी दिया जाए तो वीकेंड पर सारे पबों में युवाओं का जमावड़ा होता है। यहां तक कि एंट्री के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में यहां युवा आते हैं। रात 1.30 बजे तक शराब पीकर डीजे की ताल पर थिरकते हैं। सवाल फिर वही उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में जब यहां लोग आते हैं तो जाते भी अपने वाहनों पर होंगे लेकिन पब की संख्या जितनी भी कार्रवाई नहीं होती।
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मानेवाड़ा रिंग रोड की बात करें तो तपस्या चौक से सुयोगनगर चौक के बीच की दूरी 2.8 किमी है। इस सीधी सड़क पर एक-दो नहीं बल्कि 13 बार हैं। सभी 13 बार कई वर्षों से चल रहे हैं। यहां भी रोजाना शराबियों की भीड़ होती है। वहीं म्हालगीनगर चौक से हुड़केश्वर तक महज 2 किमी की सड़क पर 17 बार हैं.। अब यहां भी बियर बार की संख्या जितने भी शराबी पुलिस के हाथ नहीं लगते। यहां तक कि सिविल लाइंस परिसर में भी बार, लाउंज और क्लब की संख्या कम नहीं है। अमूमन शहर की सभी मुख्य सड़कों के बाजू में बियर बार बड़ी संख्या में हैं तो फिर शराबी पुलिस के हाथ क्यों नहीं लग रहे? यह बड़ा सवाल है।