दीवारें टूट रहीं, खिड़कियां खस्ताहाल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Hostel Conditions: नागपुर यूनिवर्सिटी के फार्मेसी विभाग के हॉस्टल की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। 70 से अधिक छात्रों को जीर्ण-शीर्ण इमारत में रहना पड़ रहा है। छात्रों द्वारा कई बार लिखित शिकायतें और ज्ञापन देने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ है। हॉस्टल सुपरिटेंडेंट और प्रशासन पर जानबूझकर अनदेखी करने का आरोप लगाया जा रहा है।
इमारत में कई जगह दीवारें टूट चुकी हैं, खिड़कियों के कांच गायब हैं और बारिश में पानी रिसता है। विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में अध्ययनरत छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। विश्वविद्यालय द्वारा हॉस्टल की देखरेख और सुविधाओं के नाम पर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद सुधार नहीं हो रहा है।
फार्मेसी विभाग के हॉस्टल में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे छात्रों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि हॉस्टल सुपरिटेंडेंट कभी-कभार ही नजर आते हैं। टॉयलेट जाम होना, टूटी सीटें और कई बाथरूम में लाइट न होना रात में परेशानी का कारण बनता है। हालाँकि कुछ महीने पहले टूटी सीटों को बदलकर नई सीटें लगाई गई थीं, लेकिन जाम टॉयलेट के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
छात्रों का कहना है कि उन्हें हर बार यही जवाब मिलता है कि टेंडर निकलने के बाद काम होगा, लेकिन पिछले कई महीनों में टेंडर प्रक्रिया का कोई ठोस सबूत छात्रों को नहीं दिया गया। हॉस्टल में सबसे अच्छी स्थिति टेबल टेनिस रूम की है, जिसे कुछ दिन पहले ही पेंट किया गया। छात्रों का सवाल है कि इन कामों को प्राथमिकता देने का आधार क्या था।
हॉस्टल के कमरों की हालत बहुत खराब है। कमरों के दरवाजे टूटे हुए हैं और उन्हें ढकने के लिए प्लाईवुड का इस्तेमाल किया जा रहा है। सामान रखने वाली अलमारियों के दरवाजे कभी भी टूटकर गिर सकते हैं। हॉस्टल में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे बंद हैं या हवा में लटक रहे हैं, जिससे सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं। कमरों के बाहर पोर्च में लगी कई लाइटें टूटी हुई हैं और कुछ बंद हैं।
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बारिश के मौसम में कई कमरों की छत टपकने लगती है और दीवारों से पानी बहने लगता है। सोलर वॉटर हीटर की रॉड टूटने के कारण गर्म पानी की सुविधा कई महीनों से बंद है। पानी टपकने पर छात्र बाल्टियों का सहारा लेते हैं। हॉस्टल छोड़ने वाले छात्रों ने भी कई वर्षों से शिकायत की है कि उनका डिपॉज़िट वापस नहीं किया गया। हॉस्टल में रहने वाले छात्र निर्धन और जरूरतमंद हैं, इसलिए उनकी आवाज प्रशासन तक नहीं पहुँच रही है। कई बार दबाव तंत्र का इस्तेमाल कर छात्रों की आवाज दबा दी जाती है। विश्वविद्यालय के पास निधि की कमी नहीं है, फिर भी हॉस्टल की स्थिति में कोई सुधार न होना संदेह पैदा करता है।