आखिरी सांस तक लड़ेंगे माओवादी! (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: सरकार द्वारा माओवादी उन्मूलन की घोषित समय-सीमा को खुलेआम चुनौती देते हुए, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने 2 से 8 दिसंबर 2025 तक पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) सप्ताह मनाने का नया आह्वान किया है। 7 पन्नों का यह बयान पार्टी की केंद्रीय सैन्य समिति (सीएमसी) ने जारी किया है।पिछले ढाई दशक से माओवादी यह सप्ताह शहीद साथियों को श्रद्धांजलि देने, पीएलजीए लड़ाकों की कार्रवाइयों को रेखांकित करने और नए कैडरों को प्रेरित करने के लिए मनाते आए हैं। इस बार संगठन ने ‘अंतिम सांस तक लड़ने’ की प्रतिज्ञा दोहराते हुए इसे अपने प्रतिरोध का प्रतीक बताया है।
सीएमसी द्वारा जारी ताजा बयान में पीएलजीए की 25वीं वर्षगांठ को ‘क्रांतिकारी उत्साह’ के साथ जंगलों, मैदानी इलाकों और शहरी क्षेत्रों में मनाने का आह्वान किया गया है। बयान में केंद्र और राज्य सरकारों, जिन्हें संगठन ‘आरएसएस-बीजेपी शासन’ बताता है, द्वारा चलाई जा रही ‘ब्रिंक वॉर’ के बीच इस वर्षगांठ को ‘संगठनात्मक धैर्य’ का प्रतीक बताया गया है।
दस्तावेज़ में ‘साम्राज्यवाद, कमीप्राडोर नौकरशाही, पूंजीवादी वर्ग, सामंती शक्तियों और ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद’ के खिलाफ वर्ग संघर्ष तेज करने की बात कही गई है। यह दर्शाता है कि भारी नुकसान के बावजूद संगठन अपनी वैचारिक लाइन पर अडिग है।
बयान के अनुसार, बीता वर्ष माओवादी समूह के लिए हाल के समय का सबसे रक्तरंजित रहा है। संगठन ने स्वीकार किया कि देशभर में उसके 320 कैडर मारे गए, जिनमें 8 केंद्रीय समिति सदस्य, 15 राज्य समिति नेता और महासचिव कॉमरेड बसवराज शामिल हैं। मृतकों में 183 पुरुष, 117 महिलाएं और 20 अज्ञात लड़ाके थे। सबसे अधिक 243 मौतें दंडकारण्य क्षेत्र से दर्ज की गईं।
संगठन ने सुरक्षा बलों को हुए ‘नुकसान’ का भी दावा किया है। उनके अनुसार, बीते वर्ष गुरिल्ला कार्रवाइयों में 116 जवान मारे गए और 208 घायल हुए। हालांकि, माओवादी समूह ने यह भी स्वीकार किया कि इस अवधि में उनके हथियारबंद अभियानों की तीव्रता घट गई है और सुरक्षा बलों से केवल कुछ ही हथियार बरामद किए जा सके।
सीएमसी ने सोनू–सतीश गुट पर भी कड़ा प्रहार किया है, जिन्होंने अक्टूबर और नवंबर में 227 से अधिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया था। आयोग ने उन्हें ‘क्रांतिकारी गद्दार’ करार देते हुए कैडरों को ‘संशोधनवादी तर्कों’ से सावधान रहने की चेतावनी दी और सशस्त्र संघर्ष को ‘जीत की एकमात्र राह’ बताया।
सरकार ने माओवादी प्रभावित इलाकों में ‘ऑपरेशन कागर’ के तहत लगभग 8.5 लाख सुरक्षा कर्मियों, पैरा मिलिट्री कमांडो, सेना और वायु सेना तक की तैनाती की है। सीपीआई (माओवादी) ने अपने पत्र में दावा किया है कि उनका प्रतिरोध ‘मार्च 2026 के बाद भी जारी रहेगा’। बयान में सरकार पर मनोवैज्ञानिक युद्ध चलाने और अपने नुकसान छिपाने के आरोप लगाए गए हैं। संगठन ने रणनीतिक गलतियों को सुधारने और दंडकारण्य से बाहर भी गतिविधियां बढ़ाने की बात कही।
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सीएमसी ने निर्देश दिया है कि पीएलजीए सप्ताह को छोटी बैठकों, पोस्टर अभियान और भर्ती अभियानों के माध्यम से गोपनीय ढंग से मनाया जाए। “वर्षगांठ का आयोजन पार्टी, पीएलजीए और क्रांतिकारी आंदोलन की रक्षा के हमारे कर्तव्य का हिस्सा है,” बयान में कहा गया। सरकार लंबे समय से दावा करती रही है कि माओवादी प्रभाव सिकुड़ रहा है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इस ताजा अपील को कैडरों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश के रूप में देख रही हैं।
सप्ताह के दौरान संभावित हमलों की आशंका बनी हुई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चाहे वे आत्मसमर्पण करें या लड़ने आएं, हथियारों के साथ दिखने पर कार्रवाई निश्चित है। दबाव लगातार बनाए रखा गया है और खुफिया-आधारित अभियान जारी रहेंगे।