
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Maharashtra News: शहर के खुले भूखंडों से कर के रूप में मनपा को हर साल अच्छा राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन पिछले 2 वर्षों से इसके बिल करदाताओं को नहीं दिए गए हैं, जिसके कारण महानगरपालिका को आर्थिक नुकसान हो रहा है. अब महानगरपालिका द्वारा शहर के खुले भूखंडों पर कर भरना हर साल अनिवार्य किया जाएगा. आयुक्त ज्ञानेश्वर ढेरे ने जानकारी दी है कि उपग्रह (सैटेलाइट) द्वारा सर्वेक्षण करके बिलों का आकलन किया जाएगा. जलगांव शहर में नागरिकों ने बड़ी संख्या में खुले भूखंड खरीदे हैं. कई लोगों ने उन पर निर्माण नहीं किया है. अब गुंठेवारी के अनुसार बड़े पैमाने पर भूखंडों का लेन-देन हुआ है. इन खुले भूखंडों पर महानगरपालिका द्वारा कर लगाया जाता है. पहले इसके बिल संबंधित लोगों को घर पर भेजे जाते थे. यदि बिलों का भुगतान नहीं किया जाता था, तो ब्याज और जुर्माना लगाया जाता था.
शहर में स्थित खुले भूखंडों का संबंधित मालिक रखरखाव नहीं करते हैं. इस कारण उन स्थानों पर भारी गंदगी रहती है, जिसे महानगरपालिका को ही साफ करना पड़ता है. इसके एवज में महानगरपालिका इन भूखंडों पर स्वच्छता शुल्क लगाती है.
शहर के खुले भूखंडों पर लगाए जाने वाले कर के आकलन को लेकर महानगरपालिका में जोरदार विवाद हुए थे. इस पर एक विशेष महासभा भी बुलाई गई थी. मनपा द्वारा २ प्रतिशत की दर से कर का आकलन किया जाता है. खुले भूखंड धारकों ने इस दर को अधिक बताते हुए कम करने की मांग भी की थी, लेकिन दर कम नहीं हुई और यह आकलन दर स्थायी रहा. उसी के अनुसार बिल भी चुकाए गए थे. मनपा ने संबंधित भूखंड धारकों को उनके पते पर बिल भेजने की कार्यवाही शुरू की थी.
मनपा ने खुला भूखंड विभाग को स्वतंत्र करके लगभग 50 हजार बिल तैयार किए थे और संबंधितों को भेजे थे. साथ ही, कर न भरने पर जुर्माना और कुर्की की कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी थी. उस समय महानगरपालिका में खुले भूखंडों की अच्छी वसूली हुई थी. मनपा के वार्षिक बजट में भी खुले भूखंडों से अच्छा स्वतंत्र राजस्व दिखाया गया था.
महानगरपालिका खुले भूखंड कर के बिल जारी नहीं करती है. लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने खुले भूखंड पर निर्माण की अनुमति मांगने आता है, तो उसे खुला भूखंड कर भरने के लिए मजबूर किया जाता है. उसे कोई बिल दिए बिना यह राशि भरने को कहा जाता है. इसमें कुछ समझौता करके नाममात्र की वसूली की जाती है और भूखंड कर भरने की रसीद दी जाती है. यह रसीद संलग्न करने के बाद उन्हें उस जगह पर निर्माण की अनुमति दी जाती है. बताया जा रहा है कि महानगरपालिका ने खुले भूखंड के बिल न देकर यह अनोखा तरीका शुरू किया है.
शहर के खुले भूखंड धारकों द्वारा हर साल बिलों के भुगतान की मांग की जा रही है. निर्माण करते समय एक साथ पूरी राशि अदा करने की नौबत न आए, इसलिए कुछ नागरिक बिलों की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ये बिल नहीं दिए जा रहे हैं. उन्हें बताया जा रहा है कि बिल तैयार ही नहीं किए जा रहे हैं.
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शहर में खुले भूखंडों के बिल अदा न किए जाने के कारण हर साल उनसे होने वाला राजस्व कम हो रहा है. इसलिए इस राजस्व को बढ़ाने के लिए अब खुले भूखंडों का नए सिरे से सर्वेक्षण किया जाएगा. अब यह सर्वेक्षण उपग्रह (सैटेलाइट) के माध्यम से किया जाएगा और इसका रिकॉर्ड रखा जाएगा. संबंधित भूखंडों के नक्शे निकाले जाएंगे और उनके कर का आकलन करके नगर भूमापन द्वारा उनके मालिकों की जानकारी लेकर उन्हें बिल भेजे जाएंगे. यदि वे उसी वर्ष बिल नहीं भरते हैं, तो उन पर जुर्माना और ब्याज लगाया जाएगा.






