
MVA Mahayuti Conflict:नागपुर मनपा चुनाव (सोर्सः सोशल मीडिया)
Nagpur Municipal Election: लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारी नहीं मिलने के बावजूद महाविकास आघाड़ी (मविआ) और महायुति में शामिल कांग्रेस व भाजपा की सहयोगी पार्टियों ने अब मनपा चुनाव में मिले ‘धोखे’ का बदला लेने की ठान ली है। इन दलों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं, जिससे चुनावी समीकरण बिगड़ने की पूरी संभावना है।
महायुति में शामिल शिंदे सेना और राकां (अजीत पवार) गुट के स्थानीय कार्यकर्ताओं में इस बार खासा उत्साह था। उन्हें उम्मीद थी कि यदि गठबंधन में उन्हें सम्मानजनक सीटें मिलेंगी तो मनपा में भी उनके प्रतिनिधि नजर आएंगे। यही स्थिति कांग्रेस के साथ मविआ में शामिल राकां (शरद पवार) गुट और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के कार्यकर्ताओं की भी थी।
इन दलों के स्थानीय नेताओं का मानना था कि मुख्य चुनावों में दिए गए सहयोग और मेहनत का फल कार्यकर्ताओं को मिलेगा, लेकिन भाजपा और कांग्रेस-दोनों ने ही अपने सहयोगी दलों को लगभग नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद सहयोगी दलों के नेताओं ने खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि भले ही वे जीत न पाएं, लेकिन ‘धोखा’ देने वालों को आसान जीत भी नहीं करने देंगे।
महायुति की बात करें तो भाजपा ने शिंदे सेना को मात्र आठ सीटें दीं, जिनमें से छह पर अपने ही उम्मीदवार उतार दिए गए। केवल दो सीटों पर शिंदे सेना के मूल उम्मीदवार हैं। इससे नाराज होकर करीब 30 से अधिक इच्छुक नेताओं ने नामांकन दाखिल कर दिया है और वे नाम वापस लेने के मूड में नहीं हैं। यदि ये सभी मैदान में रहे तो हिंदुत्व वोट बैंक में सेंध लगना तय माना जा रहा है। भाजपा पर शहर से शिवसेना को पूरी तरह साफ करने की साजिश का आरोप भी लग रहा है।
शिंदे सेना के जिला प्रमुख सूरज गोजे पर ऐन वक्त पर मामला दर्ज होने से उनकी टिकट कट गई। शहर प्रमुख समीर शिंदे, धीरज फंदी, महिला प्रमुख मनीषा पापडकर, अनिता जाधव और पार्टी में आए उपमहापौर रघुनाथ मालीकर चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन किसी को टिकट नहीं मिला। किरण पांडव तक की एक नहीं चली।
वहीं राकां (अजीत पवार) पार्टी ने 151 में से 96 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इनमें अन्य दलों से आए पूर्व नगरसेवक और सभापति भी शामिल हैं। ये उम्मीदवार निश्चित रूप से संबंधित प्रभागों में भाजपा का गणित बिगाड़ सकते हैं। प्रभाग-32 में भाजपा में शामिल हुए पूर्व नगरसेवक राजकुमार नागुलवार ने टिकट न मिलने पर ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न से नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस से आए तानाजी वनवे प्रभाग-27 से मैदान में हैं। दिलीप पनकुले, आभा पांडे जैसे वजनदार चेहरों के साथ 96 युवा और नए उम्मीदवार भी भाजपा को सीधी टक्कर देंगे।
ये भी पढ़े:आठवले की नाराजगी के बाद महायुति में महा-सुलह, RPI को मिलेंगी 12 सीटें
कांग्रेस को एक ओर अपने चिरप्रतिद्वंद्वी भाजपा से मुकाबला करना है, तो दूसरी ओर सहयोगी दलों के उम्मीदवारों से भी चुनौती झेलनी पड़ेगी। राकां (शरद पवार) गुट ने 76 उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। कांग्रेस और राकां की विचारधारा समान होने के कारण कांग्रेस के वोट बंटने की आशंका अधिक है। यह भी चर्चा है कि राकां (अजीत पवार) गुट के वोटर भी कई जगह कांग्रेस के वोट काट सकते हैं।
भले ही शहर में राकां की स्थिति मजबूत न हो, लेकिन कुछ प्रभागों में उसके पास प्रभावी उम्मीदवार हैं। प्रभाग-13 से पूर्व विधायक प्रकाश गजभिये चुनाव लड़ रहे हैं। 23-डी से शहर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे फिर मैदान में हैं। कुछ प्रभागों में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए हैं, जो सीधे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। प्रभाग-21-डी में कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ता इरशाद अली की टिकट काट दी। राकां (शरद पवार) ने उन्हें एबी फॉर्म की पेशकश की, लेकिन वे निर्दलीय मैदान में हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट ने 58 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जो कई जगह भाजपा उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।






