
नप-नपं चुनाव: शहरों में चुनावी प्रचार का जोर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Politics: स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर शुक्रवार, 28 नवंबर को महत्वपूर्ण निर्णय आने की संभावना है। इस अनिश्चितता और तनाव के बावजूद, कई उम्मीदवारों ने कम से कम जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए बुधवार को जोरदार तरीके से घर-घर संपर्क अभियान चलाया। शहरों के चौक-चौराहों पर नेताओं की भी हलचल बढ़ गई है। वहीं पंजीकृत राजनीतिक दलों के अलावा अन्य उम्मीदवारों ने चुनाव चिह्न मिलने में कम समय बचेगा, यह सोचकर पहले ही मतदाताओं तक पहुंचने की जल्दबाजी शुरू कर दी है।
बुधवार को उम्मीदवारों को बहुप्रतीक्षित चुनाव चिह्न वितरित किए गए। इसके साथ ही सभी उम्मीदवारों ने प्रचार सामग्री छपवाने और प्रचार को तेज करने की शुरुआत कर दी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय आए, उससे पहले ही कई प्रत्याशियों ने अपने जनसंपर्क कार्यालय भी सजा लिए हैं। राजनीतिक दलों ने आधिकारिक रूप से बुधवार से ही पूरी ताकत के साथ प्रचार शुरू कर दिया है।
बैनर लगे वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, ढोल-ताशों के साथ सुबह से ही प्रचार यात्राएं निकाली जा रही हैं और शाम की फेरी के बाद रात में नुक्कड़ सभाएं भी हो रही हैं। इससे कई नगर पंचायत और नगर परिषद क्षेत्रों में चुनावी माहौल तेजी से गर्माने लगा है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नागपुर जिले के उमरेड में प्रचार सभा की। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी उमरेड और वाड़ी में सभाओं को संबोधित किया। पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने तो कई स्थानों पर पूरे दिन डेरा जमाए रखा।ऐसे में बड़े राजनीतिक दलों का प्रचार जोर पकड़ चुका है, जबकि निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवारों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रही है।
स्थानीय चुनावों को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। कुछ लोगों को लगता है कि ये चुनाव तो होंगे, लेकिन आगे चलकर नगर निगम और जिला परिषद चुनावों पर असर पड़ सकता है। प्रचार के लिए कम समय होने के कारण ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचना ही फिलहाल उम्मीदवारों की प्राथमिकता है। कुछ उम्मीदवारों ने प्रचार शुरू तो कर दिया है, लेकिन खर्च पर स्वयं नियंत्रण रखा है।
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इस बार प्रचार में बीजेपी को छोड़कर अन्य दलों ने नया तरीका अपनाया है। उन्होंने जनता से अपील की है कि बड़े दलों के उम्मीदवार मत मांगने आएं, तो उनसे पैसे की मांग करें। न्यूनतम लक्ष्य 1 लाख रुपये रखा जाए और साथ ही मजाकिया अंदाज़ में कहा जाए कि बाकी 14 लाख बाद में उधार मान लें। यह तंज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वादे पर है, जिसमें उन्होंने 15 लाख रुपये खातों में आने की बात कही थी। “कब मिलेगा?” यह सवाल इन दलों द्वारा उठाया जा रहा है।






