
ब्रिटेन में किसान आंदोलन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Farmers Protest in London: भारत में साल 2020 में किसानों सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन करते हुए राजधानी दिल्ली से सटे बॉर्डर को अपने ट्रैक्टरों से जाम कर दिया था। ऐसा ही कुछ नजारा बुधवार को ब्रिटेन की राजधानी लंदन में दिखाई दिया, जहां देशभर के किसान आगामी बजट से पहले अपनी जमीनों की सुरक्षा के लिए एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने सख्त निर्देश जारी किए थे कि संसद के आसपास किसी भी स्थिति में ट्रैक्टर नहीं आने दिए जाएंगे। लेकिन बुधवार की सुबह किसानों ने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया, और देखते ही देखते ट्रैक्टरों का काफिला शहर के सबसे संवेदनशील इलाके में प्रवेश कर गया।
किसान इनहेरिटेंस टैक्स में प्रस्तावित बदलावों का विरोध कर रहे हैं। एबिंगडन स्ट्रीट पर पुलिस ने एक ट्रैक्टर पकड़ा, जिस पर फूल्स वोट लेबर लिखा पोस्टर लगा था। पुलिस ने करीब 20 ट्रैक्टरों को रोकने की कोशिश की, पर प्रदर्शनों का उत्साह और गुस्सा इतना प्रबल था कि वे पीछे नहीं हटे।
IT’S HAPPENING 🚜🚜🚜 The farmers are back and have arrived with their tractors in London to protest. Raise your hand if you stand with farmers 🖐️pic.twitter.com/LpPPI3k3o7 — PeterSweden (@PeterSweden7) November 26, 2025
प्रदर्शन का तरीका भी कुछ अलग और आक्रामक रहा। एक किसान ‘फादर क्रिसमस’ का रूप धरकर आया था। उसका ट्रैक्टर व्हाइटहॉल इलाके में खड़ा था और उस पर एक बड़ा स्प्रूस पेड़ रखा था। उस पर लगे बोर्ड में ‘फार्मर क्रिसमस द नॉटी लिस्ट’ लिखा था, जिसमें प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, चांसलर रेचल रीव्स, डेविड लैमी, डायने एबॉट और यहां तक कि बीबीसी तक के नाम शामिल थे। पुलिस का कहना है कि ऐसे ट्रैक्टर आम लोगों और व्यवसायों में बाधा पैदा करते हैं, लेकिन किसान उनकी दलीलों को नजरअंदाज करते दिखे।
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किसानों का गुस्सा इसलिए बढ़ा हुआ है क्योंकि अप्रैल 2026 से कृषि भूमि और बिजनेस पर 1 मिलियन पाउंड से अधिक मूल्य होने पर 20% इनहेरिटेंस टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। किसानों का कहना है कि इससे उनकी कमर टूट जाएगी, जबकि खेती की लागत पहले ही बहुत बढ़ चुकी है और मौसम तथा बाजार दोनों उन्हें झटका दे रहे हैं। प्रदर्शन के आयोजक डैन विलिस ने बताया कि पुलिस की कार्रवाई ने हालात और बिगाड़ दिए। उनका कहना है कि यह मुद्दा बेहद भावुक है-यह परिवार, संपत्ति और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है। किसान सिर्फ सरकार को अपनी आवाज सुनाना चाहते हैं।






