जलसंकट से जूझ रहा नागपुर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: अप्रैल महीना समाप्ति की ओर है, लेकिन जिले में पानी की कमी से निपटने के लिए की जा रही उपाय योजनाएं अब तक अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकी हैं। उपराजधानी से सटे 15 गांवों में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति शुरू कर दी गई है। 331 गांवों में निजी कुओं का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन अब तक केवल 40 गांवों में ही यह कार्य संभव हो सका है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि कहीं बारिश शुरू होने तक हालात और अधिक गंभीर न हो जाएं।
टैंकरों से जलापूर्ति किए जा रहे अधिकांश गांव हिंगना और नागपुर ग्रामीण तालुकों के अंतर्गत आते हैं। ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग ने पानी की कमी से निपटने हेतु एक कार्य योजना तैयार की है, जिसमें नई बोरवेल खुदाई, नल योजनाओं की मरम्मत, कुओं की गहराई बढ़ाने जैसे कार्यों को शामिल किया गया है। 1,590 गांवों में इसी तरह की उपाय योजनाएं लागू करने की योजना बनाई गई है, जिस पर कुल 37 करोड़ 49 लाख 2 हजार रुपये का व्यय प्रस्तावित है।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, 21 अप्रैल तक केवल 145 कार्यों को ही प्रशासनिक मंजूरी मिल सकी है। इन पर लगभग 14 करोड़ 2 लाख 87 हजार रुपये खर्च होने की संभावना है। स्वीकृत कार्यों में 27 नल योजनाओं की विशेष मरम्मत, 107 बोरवेलों की मरम्मत, 15 गांवों में टैंकर से जल आपूर्ति, 11 कुओं की खुदाई और 40 निजी कुओं का अधिग्रहण शामिल हैं। इनमें से वास्तविक रूप से अब तक केवल 15 गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति और 40 अधिग्रहण कार्य ही प्रारंभ हो सके हैं।
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भीषण गर्मी को देखते हुए आने वाले दिनों में टैंकरों से जल आपूर्ति की आवश्यकता वाले गांवों की संख्या और बढ़ सकती है। संपूर्ण जिले में पानी की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वह उपाय योजनाओं की गति तेज करे, ताकि ग्रामीणों को शीघ्र राहत मिल सके। यदि संबंधित कार्यों की कागजी प्रक्रिया समय पर पूरी कर ली जाए, तो गांवों में पानी की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
उमल चांदेकर, कार्यकारी अभियंता, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग, जिला परिषद, नागपुर ने कहा कि “प्रस्ताव जैसे-जैसे प्राप्त हो रहे हैं, वैसे ही तत्काल प्रशासकीय मंजूरी देकर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। प्यास से व्याकुल ग्रामीणों को समय पर पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है।”