नागपुर में प्रदूषण (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Air Pollution: महाराष्ट्र के राजधानी मुंबई के बाद अब उपराजधानी ऑरेंज सिटी नागपुर साथ ही चंद्रपुर और विदर्भ के कई अन्य शहरों में बढ़ते वायु और ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने इस मामले का गंभीर संज्ञान लेते हुए स्वतः संज्ञान से जनहित मामला दर्ज करा लिया है। न्यायालय ने एडवोकेट शांतनु खेडकर को कोर्ट मित्र नियुक्त किया है और उन्हें 4 सप्ताह के भीतर विस्तृत याचिका दायर करने का आदेश दिया है।
नागपुर में प्रदूषण की स्थिति पिछले कुछ दिनों में बिगड़ गई है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भविष्य में स्थिति और खतरनाक न हो, इसके लिए तत्काल उपाय आवश्यक हैं। विशेष रूप से वायु और ध्वनि प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ रहे बढ़ते प्रभावों को देखते हुए उच्च न्यायालय ने इस संबंध में जनहित सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
ठंड के मौसम में वृद्धि महसूस होते ही नागपुर में हवा की गुणवत्ता तेजी से गिर गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 21 नवंबर को सुबह 5 बजे शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 250 से ऊपर चला गया था। न्यायालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया कि यह स्तर मुंबई और पुणे से भी अधिक है और इसे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है।
यह भी पढ़ें:- पवार परिवार में पड़ी फूट! अजित के बेटे जय की शाही शादी से सुप्रिया सुले और शरद पवार ने किया किनारा
बता दें कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) औसतन 160 से 200 के बीच बना हुआ है, जो दूषित हवा को दर्शाता है। वायु प्रदूषण लगातार शहर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सुबह व शाम के वक्त धुंध की परत दिखाई दे रही है, देवनार, मझगांव व मालाड इलाके में एक्यूआई 300 के ऊपर बना हुआ है।