प्रतीकात्मक तस्वीर
नागपुर. अजनी थानांतर्गत मित्रनगर में एक सनसनीखेज घटना सामने आई। एक महिला ने विवाद और संपत्ति की लालच में अपने रिश्तेदार युवकों को 2 लाख रुपये की सुपारी देकर सास का कत्ल करवा दिया। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। पकड़े गए आरोपियों में मित्रनगर निवासी वैशाली अखिलेश राऊत (32), भांडार गोंडी, पांढुर्णा निवासी श्रीकांत उर्फ समीर नरेंद्र हिवसे (25) और रितेश प्रकाश हिवसे (27) का समावेश है। तीनों पर वैशाली की सास सुनीता ओंकार राऊत (54) की हत्या का आरोप है। पुलिस ने सुनीता के भाई भगवान मेंढे की शिकायत पर मामला दर्ज किया है।
7 वर्ष पहले सुनीता के बेटे अखिलेश और वैशाली का विवाह हुआ था। उन्हें मिष्टी नामक 5 वर्ष की बेटी है। अखिलेश को शराब की लत थी। बीते वर्ष शराब की लत के कारण उसकी मौत हो गई। तब से सुनीता, वैशाली और मिष्टी मित्रनगर स्थित 2 मंजिला मकान में रहते हैं। 25,000 रुपये प्रतिमाह किराया मिलता है जिससे तीनों का उदर निर्वाह हो रहा था। पिछले कुछ समय से सुनीता को वैशाली की गतिविधियों पर संदेह हो रहा था। वह वैशाली के चरित्र पर सवाल उठा रही थी। इस वजह से दोनों का विवाद हुआ था।
वैशाली ने सोचा की सुनीता की मौत के बाद सारी संपत्ति उसके नाम हो जाएगी और हमेशा की किट-किट भी खत्म हो जाएगी। उसने पांढुर्णा में रहने वाले श्रीकांत और रितेश से संपर्क किया। सुनीता का काम तमाम करने के लिए 2 लाख रुपये की सुपारी दी। 28 अगस्त की सुबह सुनीता के पड़ोसियों ने उनके भाई भगवान को फोन कर हालत नाजुक होने की जानकारी दी। भगवान बहन के घर पहुंचे तो सुनीता बेड पर पड़ी थीं। वैशाली ने बताया कि उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया था और इसी वजह से हार्ट अटैक आया होगा। सुनीता की मृत्यु हो चुकी थी। रिश्तेदारों को जानकारी देकर उसी दिन सुनीता का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।
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इसके बाद परिसर के नागरिकों ने भगवान को बताया कि वैशाली और सुनीता के बीच विवाद चल रहा था। पड़ोस में रहने वाली अरुणा चौहान नामक महिला को मिष्टी ने बताया था कि देर रात 2 मामा पीछे के दरवाजे से घर पर आए थे। दोनों ने गला दबाकर दादी को मार दिया। पड़ोसी छाया जुंबले और चैनलाल सोनवने ने बताया कि सुबह सुनीता के चेहरे और गले पर नोचने के निशान दिखाई दिए थे। उन्होंने फोटो भी ली थी। भगवान ने उनके मोबाइल से फोटो ली। बाद में पता चला कि वैशाली ने पड़ोसी अरुणा चौहान से पिता को चिकनगुनिया होने की जानकारी देकर 10,000 रुपये उधार लिए थे। यह रकम अपनी किरायेदार शीतल येलेकर को देकर श्रीकांत के मोबाइल पर ऑनलाइन पेमेंट किया था। संदेह के कारण रिश्तेदारों ने वैशाली का मोबाइल खंगाला। उसमें कई राज सामने आए। बहन की हत्या होने की प्रबल संभावना को देखते हुए भगवान ने पुलिस से शिकायत की।
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डीसीपी जोन 4 अर्चित चांडक के मार्गदर्शन में अजनी के थानेदार नितिनचंद्र राजकुमार, लक्ष्मण केंद्रे, पीएसआई सुशांत उपाध्ये, पंकज बावने, स्वाति माली, पुष्पांजलि जांभले, गणेश मुंढे, हेड कांस्टेबल ओंकार बाराभाई, मनोज नेवारे, संतोष नल्लावार, नितिन सोमकुंवर, अश्विन सहारे, नरेश श्रावणकर, कुणाल उके और रुखसार शेख ने जांच शुरू की। अलग-अलग लोगों के बयान दर्ज किए गए। पहले तो वैशाली ने पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की लेकिन पुलिसिया हथकंडे अपनाने पर श्रीकांत और रितेश की मदद से हत्या की कबूली दी। उसने बताया कि 27 की रात सुनीता सो रही थी। इसी दौरान श्रीकांत और रितेश पिछले दरवाजे से घर में दाखिल हुए। वैशाली ने छाती पर बैठकर सुनीता के हाथ पकड़े। तीनों ने मिलकर गला, नाक और मुंह दबाकर सुनीता की हत्या कर दी। बाद में शव को बेड पर सुला दिया और दोनों आरोपी फरार हो गए। पुलिस ने तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पुलिस हिरासत हासिल की है।