नागपुर मेडिकल कॉलेज (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में स्वायत्तता को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की पहल के बाद राज्य में कई इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट सहित अन्य संकायों के कॉलेजों को स्वायत्त संस्था (डीम्ड) का दर्जा दिया गया। इतना ही नहीं, प्राइवेट डीम्ड यूनिवर्सिटी की भी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन इतने वर्षों बाद भी राज्य में किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज को स्वायत्ता या फिर डीम्ड यूनिवर्सिटी नहीं बनाया गया।
इस संबंध में सरकार के पास एक प्रस्ताव आया है। यदि सकारात्मक पहल हुई तो फिर शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) भी स्वायत्त कॉलेज बन जाएगा। राज्य में प्राइवेट मेडिकल संस्थाएं डीम्ड बन रही हैं लेकिन सरकारी कॉलेजों को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है। सरकार द्वारा स्वायत्ता का दर्जा दिये जाने से सरकारी मेडिकल कॉलेजों को विकास की दृष्टि से नई दिशा मिल सकती है।
जनहित में अनुसंधान होने से समाज को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। राज्य में संचालित सभी मेडिकल कॉलेज हेल्थ यूनिवर्सिटी नाशिक से संलग्नित हैं, साथ ही नेशनल मेडिकल कमीशन की गाइड लाइंस के अनुसार चलते हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर सरकार द्वारा हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। स्वायत्तता मिलने से कॉलेज प्रबंधन को खुद के निर्णय लेने में आसानी होती है। साथ ही पाठ्यक्रम को अपग्रेड करने में भी मदद मिलती है।
जिन कॉलेजों, संस्थाओं को 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं उन्हें डीम्ड या ऑटोनॉमस बनाने का प्रस्ताव प्रशासनिक स्तर पर कुछ वर्ष पहले तैयार किया गया था लेकिन उस वक्त इस पर कोई भी चर्चा नहीं हो सकी। बताया जाता है कि सरकार ने एक बार फिर नागपुर के मेडिकल कॉलेज, पुणे के बीजे कॉलेज और मुंबई के जेजे हॉस्पिटल को ऑटोनॉमस बनाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं।
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इस संबंध में तीनों मेडिकल कॉलेजों द्वारा वैद्यकीय शिक्षा व अनुसंधान विभाग को प्रस्ताव भेजे गये। तीनों प्रस्तावों को सरकार के समक्ष रखा गया है। माना जा रहा है कि वर्ष के अंत तक तीनों मेडिकल कॉलेजों को डीम्ड का दर्जा मिल सकता है। डीम्ड बनने के बाद स्नातकोत्तर की सीटों में बढ़ोतरी की भी उम्मीद बंध जाएगी। इससे छात्रों सहित मरीजों को भी लाभ मिलेगा। विविध तरह के रिसर्च सेंटर तैयार होने से विविध बीमारियों पर भी कार्य हो सकेगा।