
कुपोषण से बच्चों की मौत पर रोहित पवार का सरकार पर तीखा हमला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nutrition Schemes Maharashtra: एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने राज्य में कुपोषण से हो रही बच्चों की मौतों को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कुपोषण दूर करने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो फिर बच्चों की जान आखिर क्यों जा रही है। रोहित पवार ने मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और “बच्चों के सिर पर मक्खन लगाने वालों” के असली चेहरे सामने लाए जाएं।
रोहित पवार ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केवल कुपोषण के कारण राज्य में 14,500 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, जो महाराष्ट्र जैसे राज्य के लिए बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि सरकार कुपोषण खत्म करने के नाम पर भारी-भरकम बजट खर्च कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। उन्होंने आरोप लगाया कि योजनाओं का लाभ ज़रूरतमंद बच्चों तक नहीं पहुंच रहा है और बीच में ही गड़बड़ियां हो रही हैं।
रोहित पवार ने कहा कि कुपोषण से होने वाली मौतों का मुद्दा कई बार विधानसभा सत्रों में उठाया गया, लेकिन सरकार हर बार केवल लिखित और छपे हुए जवाब देकर जिम्मेदारी से बचती रही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार संवेदनशीलता दिखाए और उन बच्चों की जान बचाने के लिए ठोस कदम उठाए, जो दुनिया देखने से पहले ही इस दुनिया से चले जा रहे हैं।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने विधानसभा में स्वीकार किया कि 2022-23 से 2024-25 के बीच राज्य में कुपोषण के कारण 14,526 बच्चों की मौत हुई है। यह जानकारी उन्होंने विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में दी। स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, ये मौतें मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, नागपुर, अमरावती, अकोला और यवतमाल जैसे जिलों में शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की हुई हैं।
ये भी पढ़े: किसानों की आत्महत्या सरकार का पाप, समर्थन मूल्य देकर करें प्रायश्चित: विजय वडेट्टीवार
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कुपोषण से निपटने के लिए कई योजनाएं चला रही है और इस पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। विधानसभा में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या कुपोषण की दर बढ़ रही है और क्या कुल मिलाकर 49,000 बच्चों की मौत हुई है। इस पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 14,526 मौतें दर्ज की गई हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2030 के अनुसार, नवजात मृत्यु दर को प्रति हजार 12 से कम करने का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन मौजूदा आंकड़े इस दिशा में गंभीर चिंता पैदा करते हैं।






