
विधानभवन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Assembly Session: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में लोकायुक्त न्यायाधिकरण विधेयक प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने सदन को जानकारी दी कि राष्ट्रपति ने इस विधेयक को मंजूरी देने से पहले तीन प्रमुख बदलावों का सुझाव दिया था। ये सिफारिशें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और केंद्रीय कानूनों में संबंधित सुधारों के कारण आवश्यक हो गई थीं।
लोकायुक्त कानून के दायरे में चुनाव आयुक्त भी होने की जानकारी उन्होंने दी। फडणवीस ने प्रस्तावित कानून को ‘क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि नया कानून महाराष्ट्र की भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी प्रणाली को महत्वपूर्ण रूप से मजबूती प्रदान करेगा। यह विधेयक लोकायुक्त के अंतर्गत एक मजबूत ढांचा तैयार करता है, जिसमें एक अध्यक्ष और छह सदस्य शामिल होंगे।
यह संरचना प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि, ‘पहली बार, सार्वजनिक अधिकारियों की जांच के लिए पूरी तरह से सक्षम, समयबद्ध और पारदर्शी प्रणाली बनाई जा रही है’। राष्ट्रपति द्वारा सुझाए गए बदलाव मुख्य रूप से केंद्र और राज्य के कानूनों में तालमेल सुनिश्चित करने के लिए थे।
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि पहले के मसौदे में आईपीसी और सीआरपीसी का संदर्भ था, जिन्हें अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) ने बदल दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य कानूनों को नई केंद्रीय संहिताओं के साथ सुसंगत बनाने के लिए ‘तकनीकी सुधार’ आवश्यक थे।
दूसरी तकनीकी आवश्यकता ‘नियुक्त तिथि’ के प्रावधान से संबंधित थी। यह तिथि निर्धारित करती है कि कानून कब लागू होगा और पुराने कानून से नए कानून में संक्रमण कैसे होगा, राष्ट्रपति ने स्पष्टता सुनिश्चित करने का सुझाव दिया ताकि मौजूदा लोकायुक्त और पुराने कानून के तहत की गई नियुक्तियाँ नए कानून के आधिकारिक तौर पर लागू होने तक वैध बनी रहें।
सिफारिश किया गया तीसरा बदलाव रेरा (RERA) जैसे केंद्रीय कानूनों द्वारा शासित अधिकारियों से संबंधित था। इन संस्थाओं में नियुक्तियाँ राज्य सरकार द्वारा की जाती हैं लेकिन वे केंद्रीय कानून द्वारा नियंत्रित होती हैं, इसलिए क्षेत्राधिकार के ओवरलैप से बचने के लिए प्रावधानों को मानकीकृत (standardization) करना आवश्यक था। फडणवीस ने कहा कि इसका उद्देश्य केंद्र और राज्य के ढांचों में निरंतरता बनाए रखना है।
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मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि एक बार जब ये तीन बदलाव शामिल हो जाएंगे, तो विधेयक सीधे लागू किया जा सकेगा और ‘दोबारा राष्ट्रपति की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी’। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधित मसौदा संवैधानिक आवश्यकताओं का पूरी तरह से पालन करता है।
विपक्ष के सदस्यों ने लोकायुक्त के कार्यान्वयन के समय और अधिकारों के बारे में चिंता व्यक्त की। इस पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विस्तृत चर्चा के दौरान इन मुद्दों को संबोधित किया जाएगा। यह सुधार लोकायुक्त प्रणाली क डिजिटल युग के एक मजबूत ऑडिट टूल की तरह बना रहा है, जहाँ हर प्रक्रिया की जांच और समय-सीमा निर्धारित है जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में मदव मिलेगी।






