महाराष्ट्र में हर जिले में बनेगा चिड़ियाघर (कॉन्सेप्ट फोटो)
Zoo In Every District Of Maharashtra: मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को देखते हुए महाराष्ट्र के वन मंत्री गणेश नाईक ने सोमवार को नागपुर में बड़ी घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि भविष्य में घायल या पकड़े गए वन्यजीवों को केवल बचाव केंद्रों में रखने की बजाय उन्हें प्राणी संग्रहालय (चिड़ियाघर) भेजा जाएगा।
इसके लिए राज्य में प्रत्येक जिला स्तर पर वन विभाग की जमीन पर चिड़ियाघर स्थापित किए जाएंगे। वन मंत्री ने यह घोषणा राज्य के सभी वन वृत्तों और वन्यजीव विभागों की समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में की।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) : वन विभाग के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जाएगा और कार्यों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग बढ़ाया जाएगा। पुणे और अहिल्यानगर डिवीजनों में तेंदुओं के उपद्रव को कम करने के लिए प्रत्येक को 11 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
कुंभ मेले की तैयारी : नासिक में तेंदुओं का प्रकोप अधिक है। 2027 में होने वाले कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं को तेंदुओं से कोई परेशानी न हो, इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालु और वन्यजीव दोनों सुरक्षित रहें।
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मंत्री नाईक ने बताया कि व्याघ्र परियोजना की तर्ज पर अब 5,000 से 6,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेंदुओं के लिए भी एक अलग परियोजना स्थापित की जाएगी। इस परियोजना में उन तेंदुओं को छोड़ने का प्रस्ताव है जिन्हें मानव बस्तियों से पकड़ा गया है।
महाराष्ट्र के वनमंत्री गणेश नाईक ने बताया कि ताडोबा-अंधारी और पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से एक अभिनव प्रस्ताव तैयार किया गया है।
500 फुट चौड़ी बांस की बाड़ : बफर क्षेत्र के गांवों के पास किसानों की खेतों की जमीन पर 500 फुट चौड़ी बांस की बाड़ (बांस की दीवार) लगाने का प्रस्ताव है। मंत्री ने बताया कि इसमें से 100 फुट चौड़ाई के बांस हर साल काटे जाएंगे जिससे 400 फुट की बांस की दीवार हमेशा बनी रहेगी। यह बाधा बाघ और अन्य वन्यजीवों को नागरिक बस्तियों की ओर आने से रोकेगी।
गोरेवाड़ा बचाव केंद्र में रखे गए 8 बाघों और 8 तेंदुओं की मांग महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के चिड़ियाघरों ने की है। राज्य सरकार ने उनके स्थानांतरण के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजा है। सरकार इसकी मंजूरी के लिए लगातार प्रयास कर रही है।