
चंद्रकांत पाटिल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Legislative Assembly Session: महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय में महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016 में आगे संशोधन करने के उद्देश्य से सन 2025 का विधानसभा विधेयक क्रमांक 98 प्रस्तुत किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति, 2020 को प्रभावी ढंग से लागू करना और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और अनुसंधान को बेहतर बनाने के लिए विश्वविद्यालयों के प्रशासन और संरचना को मजबूत करना है। इस प्रस्तावित संशोधन को महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ (संशोधन ) अधिनियम, 2025 कहा जाएगा मंत्री पाटिल द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।
1. राज्य सरकार को निरीक्षण का अधिकार: इस संशोधन के तहत, राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह किसी भी संलग्न, संघटक या स्वायत्त महाविद्यालय, मान्यता प्राप्त संस्था या विश्वविद्यालय की जांच राज्य सरकार के उप सचिव के पद से कम न होने वाले अधिकारी के माध्यम से करा सकती है।
2. वित्त अधिकारी की पुनर्नियुक्ति: विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि वित्त व लेखा अधिकारी की नियुक्ति पाँच वर्ष की अवधि के लिए होगी, या जब तक वह नियत आयु सीमा पूरी न कर ले, जो भी पहले हो। अब उन्हें पाँच वर्ष की केवल एक और अवधि के लिए पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र बनाया जाएगा।
3. योजनाओं में संशोधन का अधिकार: महाराष्ट्र राज्य उच्च शिक्षण व विकास आयोग को अब यह अधिकार दिया गया है कि वह विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत सर्वसमावेशक सम्यक योजनाओं में समय-समय पर फेरबदल कर सकें।
4. नई समूह यूनिवर्सिटी शामिल: इस विधेयक के माध्यम से वारणा विद्यापीठ, वारणानांगरा, कोल्हापूर को समूह विश्वविद्यालय के रूप में अनुसूची ख के भाग दो में शामिल किया गया है।
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5. खरीदी संबंधी मामलों में एकरूपता: अधिनियम के खंड 98 में संशोधन करते हुए, सभी खरीद संबंधी मामलों को अब एकरूप परिनियम द्वारा निर्धारित किया जाएगा। साथ ही, खंड 98 के उप-खंड (1) में से वह पाठ हटा दिया गया है जिसमें प्रत्येक मद का स्वतंत्र मूल्य एक समय में दस लाख से अधिक होने का उल्लेख था।
6. विशेषज्ञों की सूची: खंड 100 के तहत, इमारत व लोकनिर्माण समिति अब विश्वविद्यालय के काम के लिए दस से बारह अनुभवी और गुणवंत वास्तुविशारदों और अन्य विशेषीकृत सलाहकारों की एक नामिका तैयार करेगी।
सरकार को यह भी लगता है कि अधिनियम के खंड 71, 98, 100 और 135 में भी उचित संशोधन करना आवश्यक है। इन सभी उद्देश्यों को प्राप्त करना ही इस विधेयक का हेतु है।






