
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Legislative Assembly Winter Session: महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चंद्रपुर समेत राज्य के खानाबदोश, विमुक्त, गरीब और ग्रामीण परिवारों की आवास समस्या पर विस्तार से और गंभीर चर्चा हुई। विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने सदन का ध्यान दिलाया कि मंजूर घरों के लिए जरूरी निधि की कमी के कारण इन घरों में देरी हो रही है और चंद्रपुर जिले के लिए यशवंतराव चव्हाण मुक्त वसाहत आवास योजना के तहत निधि की तुरंत जरूरत बताई। इस पर सकारात्मक जवाब देते हुए मंत्री अतुल सावे ने तुरंत 88 करोड़ रुपये का निधि देने का भरोसा दिया। इससे चंद्रपुर जिले में यशवंतराव चव्हाण आवास योजना के लाभार्थियों को बड़ी राहत मिली है।
शीतकालीन सत्र में चंद्रपुर जिले में यशवंतराव चव्हाण आवास योजना के खानाबदोश, विमुक्त, गरीब और ग्रामीण निवासियों की आवास समस्याओं को खास अहमियत देते हुए आधे घंटे तक चर्चा हुई। इस मौके पर विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने सदन के सामने नागरिकों की असली समस्याओं को मजबूती से रखा।
विधायक मुनगंटीवार ने कहा कि 2011 से यशवंतराव चव्हाण मुक्त वसाहत योजना के तहत घरकुल की मंजूरी दी गई है। हालांकि योजना की रकम बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार रुपये कर दी गई है, लेकिन समय पर असली निधि न मिलने के कारण कई लाभार्थियों के घर अधूरे रह गए हैं।
उन्होंने कहा कि एक किस्त मिलने के बाद, लाभार्थी अगली किस्त के लिए लंबे समय तक इंतजार कर रहे हैं। मंजूरी के बावजूद निधि में देरी के कारण समस्याएं बढ़ रही हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि चंद्रपुर जिले में मंजूर 15,058 घरों के लिए निधि की तत्काल जरूरत है। उन्होंने सदन में यवतमाल, बीड, जालना आदि जिलों में घरकुल की स्थिति का भी जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि मंजूरी के बाद भी समय पर निधि न मिलने के कारण घर पूरे नहीं हो रहे हैं। मंत्री अतुल सावे ने चर्चा का जवाब देते हुए सकारात्मक रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि जरूरी 88 करोड़ रुपये का फंड तुरंत मिल जाएगा। सरकार 100 प्रश निधि देने के लिए प्रतिबध्द है।
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उन्होंने यह भी बताया कि अगर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरों का अगला अलॉटमेंट ग्रामीण विकास विभाग के ज़रिए किया जाता है, तो प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। इस चर्चा में, सभी ने आवास के मुद्दे की संवेदनशीलता पर ध्यानांकर्षित किया। एक तरफ, नागरिकों की समस्याएं बताई गईं, और दूसरी तरफ, सरकार द्वारा फंड बांटने के बारे में तुरंत फैसला लेने का भरोसा मिलने पर खुशी भी हुई।






