चंद्रशेखर बावनकुले (फाइल फोटो)
Nagpur News: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राज्य के आदिवासी किसान जल्द ही अपनी बंजर जमीन निजी संस्थाओं को पट्टे पर दे सकेंगे जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो सकेगी और इस संबंध में एक कानून लाया जाएगा। हालांकि कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार के इस फैसले से उद्योगपतियों को फायदा होगा और आदिवासियों का शोषण होगा।
अधिकारियों ने कहा कि इस कदम से न केवल आदिवासियों को आय का एक स्थिर स्रोत प्राप्त करने का अवसर मिलेगा बल्कि उनके स्वामित्व अधिकारों की भी रक्षा होगी। बावनकुले ने कहा कि इस फैसले से आदिवासी ज़मीन मालिकों को फ़ायदा होगा। अगर कोई आदिवासी किसान किसी उद्योगपति के साथ साझेदारी में अपनी ज़मीन विकसित करना चाहता है तो वह अब ज़िला कलेक्टर से संपर्क कर सकता है और अंतिम फ़ैसला ले सकता है।
इससे पहले ऐसे प्रस्तावों को मुंबई स्थित राज्य प्रशासनिक मुख्यालय, मंत्रालय में मंज़ूरी लेनी पड़ती थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित कानून केवल बंजर भूमि पर लागू होगा न कि आदिवासियों के स्वामित्व वाली उपजाऊ भूमि पर। बावनकुले ने कहा कि मुझे पालघर और नंदुरबार ज़िलों के आदिवासी ज़मीन मालिकों से कई अनुरोध मिले हैं। अगर कोई निजी कंपनी सरकारी योजना के तहत सौर पैनल लगाना चाहती है तो वह आदिवासी ज़मीन मालिक के साथ समझौता कर सकती है जिससे उसे एक निश्चित वार्षिक भुगतान मिलता रहेगा।
बंजर ज़मीन से ऐसी आय संभव नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून जनजातीय स्वामित्व की भी रक्षा करेगा क्योंकि यदि भूमि को लम्बी अवधि के लिए पट्टे पर दिया जाता है तो भी मालिक को उस संस्था से वार्षिक भुगतान प्राप्त होता रहेगा जिसके साथ समझौता किया गया है। इससे पहले मंत्री ने कहा था कि आदिवासी किसान अपनी जमीन सीधे निजी पक्षों को पट्टे पर दे सकेंगे।
वर्तमान में जनजातीय किसानों को निजी संस्थाओं के साथ स्वतंत्र रूप से पट्टा समझौते करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित परिवर्तन का उद्देश्य उन्हें निजी निवेश तक सीधी पहुंच प्रदान करना तथा उनकी होल्डिंग से अतिरिक्त आय उत्पन्न करना है। मंत्री के अनुसार प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए समझौतों में जिला कलेक्टर की भागीदारी आवश्यक होगी।
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उन्होंने कहा कि न्यूनतम पट्टा किराया 50,000 रुपये प्रति एकड़ वार्षिक या 1,25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर वार्षिक होगा। किसान और निजी पक्ष आपसी सहमति से अधिक राशि पर निर्णय ले सकते हैं। बावनकुले ने कहा कि यदि आदिवासी किसानों की भूमि पर प्रमुख या लघु खनिज पाए जाते हैं तो उन्हें खनिज निष्कर्षण के लिए निजी कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रति टन या निकाले गए खनिजों के आधार पर मौद्रिक लाभ मिलेगा। हालांकि लाभ की सटीक मात्रा अभी निर्धारित नहीं की गई है।
महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सरकार के फैसले से उद्योगपतियों को फायदा होगा। उन्होंने दावा किया कि यह निर्णय मूलतः कुछ उद्योगपतियों और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से है जो प्रस्तावित नए कानून का उपयोग करके आदिवासियों का शोषण करेंगे।