बाघ के पिंजरे में घुसा युवक (सौजन्य-नवभारत)
Maharasj Bagh Zoo: महाराजबाग जू से एक अचंभित कर देने वाली घटना सामने आई है। एक युवक बाघ के पिंजरे में घुस गया। इसकी खबर फैलते ही जू में खलबली मच गई। घटना की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों समेत पुलिस को दी गई। सूचना मिलने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। युवक को सही सलामत पिंजरे से बाहर निकाला गया।
गनीमत रही कि युवक पर बाघ ने हमला नहीं किया और उसकी जान बच गई। वन विभाग का कहना है कि युवक मानसिक रूप से बीमार है। गुरुवार की सुबह करीब 8.30 बजे एक युवक महाराजबाग जू पहुंचा। उसने करीब 11 फीट ऊंची बाघ के पिंजरे की जाली फांदकर अंदर कूद गया। कुछ ही मिनटों बाद उसे होश आया और उसने अपनी जान बचाने की गुहार लगाई।
महाराजबाग प्राणी उद्यान के प्रमुख बावसकर ने बताया कि उस समय मुख्य पिंजरे में 2 बाघ थे लेकिन वे अपनी मांद में सो रहे थे। उन्होंने बताया कि तार की जाली और मुख्य पिंजरे के बीच गैप होने के कारण मानसिक रूप से बीमार युवक की जान को खतरा नहीं था। इस घटना ने महाराजबाग जू में वन्य जीवों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठा दिया। हैरानी की बात यह कि दिनदहाड़े एक युवक 11 फीट ऊंचे बाघ के पिंजरे की जाली कूद गया और जू के किसी भी सुरक्षा कर्मी का ध्यान ही नहीं गया।
विश्व बाघ दिवस के अवसर पर महाराजबाग चिड़ियाघर में विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यह कार्यक्रम सेवादल महिला महाविद्यालय, इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और कमला नेहरू महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जागरूकता कार्यक्रम में छात्रों और पर्यावरण वादियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजबाग जू के प्रभारी अधिकारी डॉ. एसएस बावस्कर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सेवादल महिला महाविद्यालय के पर्यावरण विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. बीएस तपासे ने छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने विश्व बाघ दिवस के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बाघ संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने भारत में बाघों की संख्या, उनके महत्व, वन पारिस्थितिकी तंत्र में बाघों की भूमिका के साथ-साथ शहरीकरण, अवैध शिकार और वन विनाश के कारण बाघों के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे की विस्तृत जानकारी दी। छात्रों ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लेकर जागरूकता की दिशा में पहला कदम उठाया। डॉ. बावस्कर ने भी छात्रों को संबोधित किया और जैविक संतुलन बनाए रखने में बाघों के स्थान के बारे में बताया।
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उन्होंने छात्रों से अपने पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक होने और वन संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण तथा वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक होने की अपील की। इस अवसर पर डॉ. एबी मोटघरे, डॉ. पीयू मेश्राम, डॉ. कल्पना सिंह, डॉ. शीतल खरवड़े, याशी शर्मा, एमआर पांडे, जेएम दरवड़े समेत अन्य पदाधिकारी और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पीसी तांदले और आभार प्रदर्शन डॉ. एस जंगले ने किया।