दीक्षाभूमि पर जल रहा सामान (फोटो: नवभारत)
नागपुर. पवित्र दीक्षाभूमि पर हो रहे विवादित निर्माणकार्य को लेकर सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। हजारों की तादाद में पहुंचे आंबेडकर के अनुयायियों ने सुबह से ही दीक्षाभूमि पर दस्तक दी। इसकी भनक के लगते ही सैंकड़ों पुलिस कर्मचारियों को यहां पर तैनात किया गया। यहां तक कि पुलिस के अफसरों ने भी मोर्चा संभाला हुआ था। इसके बावजूद विरोध इतना भारी था कि श्रद्धालुओं ने निर्माण के लिए लगाए गए बैरिकेड्स निकाल दिए और निर्माणकार्य रोक दिया।
देश भर में आंबेडकरी बौद्ध जनता के श्रद्धास्थल पर चल रहे इस हंगामे का असर यह रहा कि सरकार को भी नरम रूख अपनाते हुए इस प्रकल्प को स्थगित कर देना पडा। इसके बावजूद देर रात तक श्रद्धालुओं का रोष जारी रहा। निर्माणकार्य के चलते न केवल स्तुप बल्की बोधी-वृक्ष को भी नुकसान होने की भावनाएं जनता में फैलती जा रही थी।
दीक्षाभूमि के सौंदर्यीकरण व नवीनीकरण के लिए 214 करोड़ का प्रकल्प तैयार किया गया। जिसके अनुसार विकासकार्य की शुरूआत हुई। गत कुछ समय से गति से कार्य हो रहा था। स्मारक समिति की सूचना के अनुसार एनएमआरडीए द्वारा प्रकल्प का क्रियान्वयन किया जा रहा था। किंतु दीक्षाभूमि के कायाकल्प की जानकारी श्रद्धालुओं तक नहीं पहुंच रही थी। इसी बीच अंडरग्राऊंड पार्किंग के लिए शुरू हुई खुदाई के कारण स्तुप के सामने ही मिट्टी का पहाड खड़ा हो गया। इस कार्य के कारण स्तुप और बोधी-वृक्ष को नुकसान होने की भावनाएं लोगों में पनपने लगी। जिसके बाद स्मारक समिति से इसका जवाब मांगा जाने लगा। किंतु स्मारक समिति लोगों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। हश्र यह हुआ कि सोमवार को हजारों की तादाद में आंबेडकरी जनता दीक्षाभूमि पर पहुंच गई। पुलिस की फौज के सामने ही चल रहे निर्माण कार्य को रोक दिया गया। बैरिकेड निकालकर उन्हें जला दिया गया।
निर्माणकार्य का विरोध कर रहे आंबेडकर के अनुयायी (फोटो: नवभारत)
गत अनेक दिनों से दीक्षाभूमि परिसर में चल रहे अंडरग्राऊंड पार्किंग के निर्माण को लेकर स्मारक समिति और आंबेडकरी जनता के बीच संघर्ष चल रहा था। इसकी भलीभांति जानकारी सरकार को भी थी। किंतु इसे हलके में लिया गया। शुरूआत में कुछ ही लोगों की ओर से इसका विरोध होता रहा। कुछ समय तक नारेबाजी करने के बाद मामला शांत होता रहा। ऐसे में कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ने की आशा की जा रही थी। किंतु ठीक इसके विपरित आंबेडकरी जनता में रोष बढ़ता गया। जिसकी वजह से देर से ही सही राज्य सरकार को प्रकल्प पर रोक लगानी पड़ गई।
एक ओर जहां दीक्षाभूमि पर आंबेडकरी जनता रोष जता रही थी, वहीं विधानसभा में आक्रामक रूख अपनाते हुए विधायक नितिन राऊत ने सरकार को घेरने की कोशिश की। यहां तक कि तुरंत इस निर्माण को स्थगित करने की भी मांग की। उन्होंने दीक्षाभूमि की पार्किंग के लिए सामने स्थित स्वास्थ्य विभाग की लगभग 4 एकड़ भूमि तुरंत आवंटित करने की मांग भी सरकार से की। उन्होंने कहा कि यह जमीन उपलब्ध कराने से पार्किंग की समस्या हल हो जाएगी। सदन में राऊत द्वारा उठाए गए इस मसले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने तुरंत निर्माण को स्थगित करने का निर्णय घोषित किया।
आंबेडकर के अनुयायी अनुयायियों ने पिलर को लगाई आग (फोटो: नवभारत)