नागपुर हिंसा में जमानत (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: नागपुर में 17 मार्च को हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। छत्रपति संभाजीनगर जिले में औरंगजेब की कब्र को लेकर हुए बवाल का नतीजा थी। कब्र हटाने का मुद्दा संभाजीनगर से नागपुर तक गरमा गया था। छत्रपति संभाजीनगर जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग के खिलाफ इस साल मार्च में नागपुर में हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार नौ लोगों को मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को जमानत दे दी।
उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने आरोपियों को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने जमानत देते हुए कहा कि उनकी हिरासत की अब और जरूरत नहीं है। विस्तृत आदेश की प्रति बाद में उपलब्ध करा दी जाएगी। एक आरोपी की ओर से पेश हुए वकील मोहम्मद आदिल शेख ने तर्क दिया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और इसलिए आरोपियों को जमानत दी जानी चाहिए।
जिन आरोपियों को जमानत दी गई है उनमें इकबाल अंसारी, मुजम्मिल अंसारी, मोहम्मद राहिल, एजाज अंसारी, अबसार अंसारी, इजहार अंसारी, अशफाकउल्ला अमीनुल्लाह, मोहम्मद यासिर और इफ्तिखार अंसारी शामिल हैं। छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्ताबाद कस्बे में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान कुरान की आयतों वाली चादर जलाए जाने की अफवाहें फैलाई गई।
इन अफवाहों के चलते 17 मार्च को नागपुर के महल परिसर और कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर पथराव और आगजनी की खबरें सामने आई थीं। पुलिस उपायुक्त (DCP) रैंक के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी इनमें घायल हो गए थे। दंगों के बाद नागपुर पुलिस ने 19 किशोरों सहित 123 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था।
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नागपुर में भड़की हिंसा के कारण शहर के महल परिसर, गोलीबार चौक, मोमिनपुरा, हंसापुरी, सक्करदरा जैसे कई बड़े इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इसके साथ सोशल मीडिया पर फैल रहे भड़काऊ पोस्ट पर भी एक्शन लिया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)