टैक्स पेयर्स (AI Generated Photo)
Nagpur Tax Payers: नागपुर में आयकर विभाग द्वारा सिटी सैकड़ों व्यापारिक प्रतिष्ठानों को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148 के तहत नोटिस जारी किए गए जिसे चुनौती देते हुए अलग-अलग 84 व्यापारी प्रतिष्ठानों ने नोटिसों की वैधता को ही चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर कीं।
इस पर दोनों पक्षों की लंबी दलीलों के बाद न्यायाधीश अनिल पानसरे और न्यायाधीश सिद्धेश्वर ठोंबरे ने आयकरदाताओं को बड़ी राहत देते हुए आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिसों को रद्द कर दिया है। अदालत ने फैसले में स्पष्ट किया कि विभाग ने नोटिस जारी करने में निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकीलों ने दलील दी कि कानून के अनुसार, ये नोटिस ‘फेसलेस असेसिंग ऑफिसर’ द्वारा जारी किए जाने चाहिए थे लेकिन विभाग ने इन्हें ‘क्षेत्राधिकार मूल्यांकन अधिकारी’ के माध्यम से जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने इसे मूलत: मौलिक दोष बताते हुए नोटिस को रद्द करने की मांग की। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में हाई कोर्ट के ही ‘हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड’ मामले में दिए गए एक पुराने फैसले का हवाला दिया जिसमें इसी तरह के नोटिस को अवैध ठहराया गया था।
आयकर विभाग के वकील ने माना कि ‘हेक्सावेयर’ मामले का फैसला प्रासंगिक है लेकिन उन्होंने अदालत को सूचित किया कि उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई है। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि जब तक ‘हेक्सावेयर’ मामले का फैसला प्रभावी है, तब तक वे उसका पालन करने के लिए बाध्य हैं। इसी आधार पर अदालत ने कहा कि इन मामलों को लंबित रखना उचित नहीं होगा।
यह भी पढ़ें – धम्मचक्र प्रवर्तन दिन पर 2.50 लाख यात्री पहुंचे स्टेशन, बना रिकॉर्ड, क्राउड मैनेजमेंट रहा शानदार
ऐसे में धारा 148 के तहत जारी सभी विवादित नोटिसों और उनसे जुड़ीं आगे की सभी कार्यवाहियों को रद्द करने का आदेश दिया। साथ ही अदालत ने फैसले में कहा कि यदि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट ‘हेक्सावेयर’ मामले का फैसला विभाग के पक्ष में सुनाता है तो विभाग इन याचिकाओं को फिर से शुरू करने के लिए अदालत में आवेदन कर सकता है। यदि सुप्रीम कोर्ट विभाग की अपील खारिज कर देता है तो इन मामलों को दोबारा नहीं खोला जा सकेगा।