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टाइगर कॉरिडोर पर हाई कोर्ट ने खारिज की रोक, 1 हफ्ते का दिया समय, बाघों पर गंभीर प्रभाव का दिया हवाला

Tiger Corridor Case: हाल ही में राज्य वन्य जीव बोर्ड ने टाइगर कॉरिडोर को लेकर एक अहम फैसला लिया था। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Aug 13, 2025 | 10:44 AM

टाइगर कोरिडोर (सौजन्य-सोशल मीडिया)

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Tiger Corridor Case: ‘टाइगर कॉरिडोर’ को लेकर राज्य वन्य जीव बोर्ड के फैसले के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के वकीलों ने स्पष्ट किया कि इस फैसले से वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा होने का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है। इस तर्क को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की पीठ ने कॉरिडोर के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।

17 अप्रैल 2025 को राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में टाइगर कॉरिडोर तय किया गया था। इसके लिए 2014 में प्रकाशित ‘कनेक्टिंग टाइगर पॉपुलेशन्स फॉर लॉन्ग टर्म कंजर्वेशन’ रिपोर्ट के मानचित्रों और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ‘डीएसएस’ प्रणाली को ही आधार बनाया गया था। इसके खिलाफ पर्यावरणविद् शीतल कोल्हे और उदयन पाटिल ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।

हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय

सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के आदेशानुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और राष्ट्रीय वन्य जीव महासंघ ने अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा। याचिकाकर्ताओं ने इस विवादास्पद निर्णय का विरोध करते हुए वन्य जीवों के हित में इस निर्णय पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।

अदालत ने बाघ संरक्षण प्राधिकरण को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, साथ ही यह भी कहा कि यदि यह पाया जाता है कि यह निर्णय वास्तव में वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा कर रहा है तो याचिकाकर्ता तुरंत अदालत में उपस्थित हों। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता उपाध्याय, राज्य सरकार की ओर से मुख्य लोक अभियोजक देवेंद्र चौहान और केंद्र सरकार की ओर से उप-सॉलिसिटर जनरल नंदेश देशपांडे उपस्थित हुए।

यह भी पढ़ें – ट्रैवल्स बसों पर ट्रैफिक उपायुक्त ने कसी नकेल, पिकअप एंड ड्रॉप पॉइंट पर लगी रोक, इन्हें मिली छूट

इस निर्णय का बाघ मार्गों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा

याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा है कि इस निर्णय का न केवल महाराष्ट्र में बाघ मार्गों पर बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों में जुड़े बाघ मार्गों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि इससे वन्य जीवों का प्रवास, जैव विविधता, प्रजनन और पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता खतरे में पड़ जाएगी।

High court dismisses tiger corridor public interest litigation

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Published On: Aug 13, 2025 | 10:44 AM

Topics:  

  • Forest Department
  • High Court
  • Nagpur News

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