नितिन राउत (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: उत्तर नागपुर के नारा क्षेत्र में 52 हेक्टेयर भूमि पर डा. बाबासाहब आम्बेडर नारा इंटरनेशनल पार्क को विकसित करने की योजना एनआईटी द्वारा बनाई गई थी। किंतु वर्मतान में बिल्डरों की ओर से इस योजना पर पानी फेरने का प्रयास किया जा रहा है।
अत: जमीन अधिग्रहण कर डा. बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से नारा की आरक्षित जमीन पर इंटरनेशनल पार्क को विकसित करने की मांग औचित्य के मुद्दे के तहत विधायक नितिन राउत ने विधानसभा में उठाई। राउत ने कहा कि वर्ष 1996 में नारा में पार्क को विकसित करने के लिए योजना तैयार की गई।
जिसके लिए 52 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई। इस पार्क में एसेल वर्ल्ड, थीम पार्क, वाटर पार्क, स्केटिंग रिंग, जैसे कई तरह के मनोरंजन के विकल्प तैयार किए जाने थे। उन्होंने कहा कि पार्क की योजना तैयार होने के बाद कुछ समय तक के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया पर विचार किया गया। किंतु बाद में अचानक योजना को ग्रहण लग गया।
नारा नेशनल पार्क के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 26 सितंबर 2006 को भूमि अधिग्रहण के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में 5 करोड़ रुपए जमा किए गए थे। इसके अलावा नापजोंक के लिए 11.50 लाख रु अधिग्रहण उपजिलाधिकारी के पास जमा किए गए। किंतु आश्चर्यजनक यह है कि सरकार की ओर से अब तक जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है।
नितिन राउत ने कहा कि लगभग 2 दशक होने के बाद भी जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण अब कुछ बिल्डरों ने इसका आरक्षण ही रद्द करने का षड्यंत्र शुरू कर दिया है। एनआईटी के कुछ अधिकारियों की मदद से आरक्षण रद्द करने की प्रक्रिया की गई है। जिसका विरोध करते हुए 2 अक्टूबर 2024 से इसी जमीन पर स्थानीय लोगों की ओर से आंदोलन शुरू किया गया है। इसके पूर्व भूख हड़ताल करने का प्रयास किया गया।
महाराष्ट्र की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
10 नवंबर 2024 को मोर्चा निकाला गया। किंतु प्रशासन ने मोर्चा निकालने पर पाबंदी लगा दी। आश्चर्यनजक यह है कि पुलिस कर्मचारी उपलब्ध नहीं होने का कारण देते हुए मोर्चा निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। जिससे अब लोगों में असंतोष पनप रहा है। अत: जमीन अधिग्रहण कर पार्क को विकसित करने की मांग उन्होंने की।
औचित्य का मुद्दा रखते हुए विधायक चरणसिंह ठाकुर ने कहा कि काटोल में एमआईडीसी में उद्यौग लगाने के लिए 300 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किंतु आलम यह है कि यह जमीन निजी कंपनी को सोलार प्लांट लगाने के लिए दी गई। उद्यौगों के माध्यम से युवाओं को रोजगार मिलना था। किंतु अब सोलारप्लांट बन जाने से बेरोजगारों की समस्या ज्यों की त्यों है।
इसी तरह से वर्ष 2018 में 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। यहां भी उद्योग नहीं लगे हैं। कृषि उपज को उचित दाम नहीं मिलने का मुद्दा भी उन्होंने उठाया। उन्होंने कहा कि भोज-पवार समाज की राज्य में लगभग 20 लाख की जनसंख्या है। जिस तरह से अन्य समाज के लिए महामंडल निर्मित होते है। उसी तरह चक्रवर्ति राजा भोज महामंडल स्थापित करने की मांग भी उन्होंने की।