
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Shalarth ID Scam: शिक्षा विभाग में रोज नये घोटाले सामने आ रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा विभाग में शालार्थ आईडी घोटाला चर्चा में है वहीं उच्चतर माध्यमिक में भी ऐसी ही घटना की चर्चा है। 11वीं और 12वीं कक्षा के शिक्षकों के अनुमोदन से जुड़ीं 45 फाइलें गायब हैं। इससे विभाग में हड़कंप मच गया है और चर्चा है कि ये फाइलें फर्जी शिक्षकों से जुड़ी हैं।
शालार्थ आईडी घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य स्तरीय विशेष टीम का गठन किया गया है। पुणे के संभागीय आयुक्त एसआईटी के प्रमुख हैं और वह पहली से 12वीं तक के शिक्षकों के अनुमोदन के साथ-साथ आवश्यक दस्तावेजों की जांच करेंगे। गैर-सहायता प्राप्त से अनुदानित में स्थानांतरित हुए शिक्षकों की भी जांच की जा रही है।
11वीं और 12वीं के शिक्षकों को अवैध अनुमोदन देकर शालार्थ आईडी स्वीकृत करने के मामले में चिंतामन वंजारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब जब एसआईटी इसकी जांच करने जा रही है तो उपसंचालक कार्यालय मे काफी हलचल है। विभाग में चर्चा है कि 11वीं और 12वीं के शिक्षकों से जुड़ी 45 से 50 फाइलें दिखाई नहीं दे रही हैं।
चर्चा है कि ये सभी फाइलें 11वीं और 12वीं के शिक्षकों के अनुमोदन और स्कूल आईडी से जुड़ी हैं। इसकी जांच की जा रही है। इन सभी फाइलों के होने से संबंधित पटल प्रमुख काफी चर्चा में हैं। प्राथमिक विभाग से जुड़ी 632 शिक्षकों की फाइलें गायब हैं। चर्चा यह भी है कि संबंधित पटल प्रमुख उस मामले से जुड़े हैं जिसमें चिंतामन वंजारी को पहले गिरफ्तार किया गया था।
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बता दें कि बोगस शालार्थ आईडी और फर्जी शिक्षकों की नियुक्त कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले जिला परिषद के शिक्षणाधिकारी सिध्देश्वर श्रीराम कालुसे (50) और रोहिणी विठोबा कुंभार (49) को गिरफ्तार किया गया है। एसआईटी ने दोनों को गिरफ्तार किया था। दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
शालार्थ आईडी के आदेश निर्गमित नहीं होने के बावजूद कालुसे और कुंभार ने बोगस शिक्षकों के साथ आर्थिक व्यवहार करके उनकी बोगस शालार्थ आईडी ड्राफ्ट तैयार किए। दोनों ने 398 बोगस शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को नियमित वेतन भी जारी करवा दिया।






