
दिल्ली का एक्यूआई। इमेज-सोशल मीडिया
Delhi AQI: दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई। लोगों को इससे राहत नहीं मिल रही। राजधानी में जहरीले स्मॉग की परत छाई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आज सुबह सात बजे राजधानी का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 318 दर्ज किया गया। यह हवा की बेहद खराब स्थिति है।
एक दिन पहले रविवार को हवा की क्वालिटी बहुत खराब कैटेगरी में ही थी। पूरे हफ्ते इसी जोन में रहने की उम्मीद है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के शाम 4 बजे के डेटा के मुताबिक, रविवार को 24 घंटे का औसत AQI 308 रिकॉर्ड किया गया। शनिवार को यह 330 था। मतलब बहुत खराब था।
सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक, आज दिल्ली के आनंद विहार में एक्यूआई 354, बवाना में 368, बुराड़ी में 327, चांदनी चौक में 321, द्वारका में 325, आईटीओ में 326, जहांगीरपुरी में 348, मुंडका में 355, नरेला में 344, विवेक विहार में 291 और रोहिणी में 346 दर्ज किया गया। नोएडा सेक्टर-62 में 297, गाजियाबाद स्थित वसुंधरा में 308, इंदिरापुरम में 284 और गुरुग्राम सेक्टर-51 में 286 रिकॉर्ड हुआ। मालूम हो सीपीसीबी के अनुसार 0-50 के बीच एक्यूआई अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर है।
| क्र.सं. | इलाका (Area) | AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) | स्थिति (Status) |
| 1 | बवाना | 368 | 🔴 ख़तरा |
| 2 | मुंडका | 355 | 🔴 ख़तरा |
| 3 | आनंद विहार | 354 | 🔴 ख़तरा |
| 4 | जहाँगीरपुरी | 348 | 🔴 ख़तरा |
| 5 | रोहिणी | 346 | 🔴 ख़तरा |
| 6 | नरेला | 344 | 🔴 ख़तरा |
| 7 | बुराड़ी | 327 | 🔴 ख़तरा |
| 8 | आईटीओ | 326 | 🔴 ख़तरा |
| 9 | द्वारका | 325 | 🔴 ख़तरा |
| 10 | चांदनी चौक | 321 | 🔴 ख़तरा |
| 11 | गाज़ियाबाद, वसुंधरा | 308 | 🔴 ख़तरा |
| 12 | नोएडा सेक्टर-62 | 297 | 🟠 गंभीर |
| 13 | विवेक विहार | 291 | 🟠 गंभीर |
| 14 | गुरुग्राम सेक्टर-51 | 286 | 🟠 गंभीर |
| 15 | इंद्रप्रस्थ | 284 | 🟠 गंभीर |
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के इरादे से क्लाउड सीडिंग का प्रयोग शुरू किया है। एक दशक से अधिक वक्त से क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ऐसे उपाय कर रही, जो प्रदूषण घटाने के लिए होते हैं। मगर, जरूरत है कि सरकार ऐसे उपाय लागू करे, जिससे प्रदूषण बढ़े ही नहीं। गाड़ियों के प्रदूषण पर रोक लग जाए तो कम से कम सर्दियों में प्रदूषण से इमरजेंसी जैसे हालात तो नहीं बनेंगे। धुएं के बाद प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह धूल है। इसे देखते हुए अमूमन ग्रैप के तहत निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है। इसकी जगह सरकार सड़कों पर उड़ने वाली धूल पर काबू पा ले तो काफी हद तक प्रदूषण पर रोक लग सकती है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली-NCR में ‘जहर’ बनी हवा: ITO में AQI 498, इन 24 इलाकों में स्थिति ‘गंभीर’
दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसें आ गई हैं, लेकिन जिन बसों का किराया सस्ता होता है, उनकी कमी है। मेट्रो का बड़ा नेटवर्क है, लेकिन किराया ऐसा है कि हर व्यक्ति अफोर्ड नहीं कर सकता। मेट्रो के सफर के बाद भी लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए अलग से पैसा खर्च करना पड़ता है। इस कारण दिल्ली जैसे शहर में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम नहीं हो रही।






