दीक्षाभूमि के किसी भी विकास योजना को मंजूरी नहीं (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Deekshabhoomi Committee Nagpur: दीक्षाभूमि स्मारक समिति ने स्पष्ट किया है कि दीक्षाभूमि के विकास के लिए किसी भी योजना को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है। एनएमआरडीए द्वारा प्रस्तावित तीसरी योजना को मंजूरी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन समिति के सदस्यों की कोई संयुक्त बैठक इसके संबंध में नहीं हुई। समिति इस बात पर अड़ी है कि दीक्षाभूमि का विकास सुनिश्चित करने के लिए समाज कल्याण विभाग को सभी सदस्यों की एक बैठक बुलानी चाहिए। यह जानकारी समिति के सचिव डॉ. राजेंद्र गवई ने पत्रकार परिषद में दी।
27 नवंबर, 2025 को दीक्षाभूमि की संशोधित विकास योजना को उच्च स्तरीय समिति के समक्ष अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करने के लिए एनएमआरडीए आयुक्त के कार्यालय में बैठक हुई थी। उस समय यह निर्णय लिया गया था कि समाज कल्याण विभाग, दीक्षाभूमि स्मारक समिति और मेसर्स डिजाइन एसोसिएट्स इन कोऑपरेशन के संयुक्त प्रयास से योजना का अंतिम रूप दिया जाएगा।
हालांकि, भूमिगत कार्यों को छोड़कर, 8 सितंबर, 2025 को अन्य विकास कार्यों के लिए 4 योजनाएँ समिति को प्रस्तुत की गईं, जिनमें से तीसरी योजना को स्वीकृत कर लिया गया। समिति सदस्यों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। डॉ. गवई ने कहा कि सभी संगठनों और समिति सदस्यों को योजना पर चर्चा कर उचित अनुमोदन करना चाहिए ताकि दीक्षाभूमि के विकास कार्यों को गति दी जा सके।
डॉ. गवई ने बताया कि अक्टूबर में एनएमआरडीए आयुक्त, समिति के सदस्यों और संबंधित संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें दीक्षाभूमि की सुरक्षा दीवार और चबूतरे का निर्माण नवंबर में शुरू करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, संशोधित विकास योजना की मंजूरी के संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। समिति अब न्यायालय में वकील नियुक्त कर 8 सप्ताह का समय मांगकर विचार-विमर्श के बाद योजना को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करेगी और इसे राज्य सरकार को भी सौंपेगी।
ये भी पढ़े: गांधीजी ने ‘हिंद स्वराज’ में अंग्रेजों की साजिश का किया था खुलासा: मोहन भागवत
डॉ. गवई ने कहा कि समिति के सदस्य किसी भी समय अध्यक्ष के साथ बैठक के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें पहल करनी चाहिए। सभी विकास के प्रति इच्छुक हैं और दीक्षाभूमि के विकास में सहयोग करना चाहते हैं। उन्होंने समिति अध्यक्ष भंते सुरेई ससाई के प्रति अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दीक्षाभूमि के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास थाईलैंड से लाई गई 56 फुट ऊँची बुद्ध प्रतिमा स्थापित करना असंभव है क्योंकि इसके लिए लगभग 2 एकड़ ज़मीन की आवश्यकता होगी। विकास के लिए अतिरिक्त जमीन मिलने पर ही इस प्रतिमा को वहाँ स्थापित किया जा सकता है।