
दीक्षाभूमि पुनर्विकास (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Ambedkar Memorial Nagpur Development: दीक्षाभूमि के समग्र विकास से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश अनुसार याचिकाकर्ता अधिवक्ता शैलेश नारनवरे की ओर से हलफनामा दायर किया गया है। इसमें दीक्षाभूमि के पुनर्विकास के लिए प्रस्तुत ‘विकल्प 3’ को स्वीकार किए जाने और उस पर अपनी सहमति की पुष्टि की गई है।
शेगांव की तर्ज पर दीक्षाभूमि के विकास की मांग को लेकर अधि. नारनवरे द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी। 24 नवंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों और याचिकाकर्ता को हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए थे। अब तक केवल याचिकाकर्ता की ओर से हलफनामा दायर किया गया है। न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आगे सुनवाई स्थगित नहीं किए जाने के संकेत दिए एवं दो सप्ताह में हर हाल में हलफनामा दायर करने के स्पष्ट निर्देश दिए।
हलफनामे में बताया गया है कि एनएमआरडीए और एनआईटी ने 8 सितंबर 2025 को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति को पत्र भेजकर पुनर्विकास के चार विकल्प सुझाए थे और उनमें से एक विकल्प चयन करने का अनुरोध किया था। स्मारक समिति ने 6 नवंबर 2025 को एनएमआरडीए अध्यक्ष को भेजे पत्र में स्पष्ट रूप से प्रस्ताव संख्या 3 को स्वीकार कर लिया था। याचिकाकर्ता नारनवरे ने भी अब हलफनामे के माध्यम से इसी विकल्प संख्या 3 को स्वीकार करने की पुष्टि की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दीक्षाभूमि पर प्रतिवर्ष धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती, महापरिनिर्वाण दिवस सहित कई महत्वपूर्ण आयोजन किए जाते हैं। इन अवसरों पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन आवास, भोजन, शौचालय, परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति वर्षों से बनी हुई है, जिसके समाधान हेतु पुनर्विकास आवश्यक है।
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