प्लेफार्म 8 की तरफ ब्रिज पर भीड़ (सोर्स- नवभारत)
नागपुर: दिल्ली स्टेशन पर शनिवार रात हुए भगदड़ ने 18 यात्रियों की जान ले ली। मृतकों में 9 महिलाएं और 4 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। इस जानलेवा हादसे के शिकार हुए अधिकांश लोग एफओबी से उतरते समय भगदड़ की चपेट में आये और वहीं कुचले गये। कुछ ऐसी ही स्थिति नागपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म 8 पर हर दिन बनती है।
नागपुर रेलवे स्टेशन पर बनाए गए अस्थायी ब्रिज की सीढ़ियां पीक ऑवर (भारी भीड़ का समय) में हर दिन दिल्ली स्टेशन जैसी भगदड़ को न्योता देती नजर आती हैं। यहा हर दिन स्टेशन आने वाले यात्रियों से करीब दो तिहाई यात्री इस ओर से प्रवेश करते हैं। इसके बावजूद प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
स्टेशन रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के जारी निर्माण कार्य के चलते यहां लोहे की सीढ़ियों वाला अस्थायी ब्रिज बनाया गया है। लोहे की सीढ़ियां होने के कारण फिसलन बनी रहती है। वहीं तीखी ढलान के चलते यात्रियों को नीचे उतरे समय अपनी गति पर बहुत अधिक नियंत्रण रखना होता है। इस बीच सीढ़ियों का चिकना हिस्सा स्थिति को अधिक अनियंत्रित करने को काफी है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब सामने यात्री भारी भरकम सामान लेकर ऊपर चढ़ते हैं। कई प्रमुख ट्रेनों के समय यहां इस कदर भीड़ जमा हो जाती है कि यदि एक यात्री का पैर भी फिसला तो एक साथ 500 से अधिक यात्री एक-दूसरे पर गिरते हुए सीधे प्लेटफॉर्म की फर्श पर पहुंच जाएंगे।
यह बात हर रेलकर्मी जानता है कि नागपुर स्टेशन देश के प्रमुख स्टेशनों में शामिल है। हर दिन यहां से सैकड़ों यात्री ट्रेनें व मालगाड़ियों के साथ हजारों यात्रियों की आवाजाही है लेकिन व्यवस्था के विषय में यह जानकारी दरकिनार सी नजर आती है। हर दिन एफओबी के इस हिस्से में भारी भीड़ रहती है। यात्रियों का जाम लगना आम बात है।
नागपुर की अन्य सभी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इस भीड़ में युवाओं के अलावा महिलाएं, वृद्ध और बच्चे भी होते हैं। ट्रेन में सवार होना जरूरी है, इसलिए किसी को सामान लेकर चढ़ने या उतरने से रोका नहीं जा सकता लेकिन भीड़ को नियंत्रित तो किया जा सकता है। हैरानी की बात यह कि आरपीएफ और जीआरपी के सुरक्षाकर्मी प्लेटफॉर्म पर चहलकदमी करते हुए नजर आते हैं लेकिन कोई भी एफओबी की सीढ़ियों पर यात्री जाम को दूर करने नहीं आता।