दिन की शुरुआत एक प्याली चाय से। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: चाय के शौकीन हर घर में मिल जाएंगे, चाहे बच्चे, युवा या फिर बुजुर्ग, हर किसी की पसंद होती है चाय। इन लोगों का मानना है कि सुबह उठने के बाद एक कप चाय मिल जाए, तो पूरे दिन ताजगी बनी रहती है। चाय पीने से दिल-दिमाग को सुकून मिलता है। शहर के लोगों से बात करने पर पता चला कि यहां 10 में से 8 लोग चाय के शौकीन हैं। यानी नागपुर में 75 प्रतिशत तबका जो चाय पीता है, बाकी अन्य कॉफी, लेमन टी, ग्रीन टी, ब्लैक कॉफी आदि पीते हैं।
भारतीयों में चाय के टाइमिंग फिक्स हैं, जैसे सुबह, दोपहर, शाम या फिर कोई मेहमान आ गया तो चाय, कुछ गहन चर्चा करनी है तो चाय, दोस्तों के साथ टाइम पास करना है तो चाय और जब लेट नाइट ऑफिस हो, नींद भगाने के लिए भी चाय। गर्मियां शुरू हैं, लोग ठंडक के लिए लस्सी, छाछ, दही, गन्ने का जूस, कोल्ड ड्रिंक्स, आइस गोला आदि खाते-पीते हैं, लेकिन इन सभी के साथ चाय को जरूरी मानते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि चाय पीने की आदत अच्छी है, लेकिन इससे होने वाले फायदे-नुकसान इसके सेवन की मात्रा पर निर्भर करते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में 2 कप चाय पी सकता है, हालांकि ग्रीन टी या वाइट टी पीना अधिक फायदेमंद माना गया है। सीमित मात्रा में शक्कर का इस्तेमाल करें। बहुत गर्म चाय पीने से परहेज करें। बहुत गर्म पेय पदार्थ पीना इसोफेगल कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। कुछ लोग दूध की चाय पीने के बजाय ग्रीन टी पीना पसंद करते हैं। अगर अनिद्रा, पेट खराब, उल्टी, दस्त, अक्सर पेशाब आने की समस्या, पेट में गैस, कब्ज महसूस होती है, तो तुरंत ग्रीन टी लेना बंद कर देना चाहिए।
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अगर मेरे हाथ में एक प्याली अदरक वाली चाय न दी जाए, तो दिन की शुरुआत करना मुश्किल हो जाता है। सर्दियों में खासतौर से इसे पीने से सुकून मिलता है और इसके साथ पकोड़े हो जाएं तो दिन बन जाता है।
मैं नागपुर से हूं, लेकिन जॉब की वजह से पुणे में रहती हूं। पुणे जैसे मेट्रो सिटी में दिन और रात समझ में नहीं आती। काम इतना होता है कि नींद न आए, इसलिए चाय का सहारा लेती हूं। इसके अलावा जब खुद के लिए समय निकालते हुए किताबें पढ़ती हूं, पेंटिंग करती हूं या कोई क्रिएटिव काम करती हूं, तब भी चाय जरूरी है।
मैं जिस कंपनी में काम करता हूं, वो यहां की नहीं है, इसलिए मेरा वर्क फ्रॉम होम शुरू है। काम के लिए घर से बाहर जाने का मौका ही नहीं मिलता है। इसलिए दोस्तों के साथ समय बिताने के बहाने चाय की टपरी पर चला जाता हूं।
चाय की तलब घर की दहलीज लांघ कर सड़क के नुक्कड़ पर बने टी-स्टॉल तक पहुंचा जाती है। लोग भले ही स्टैंडर्ड मेंटेन करने के लिए कैफे में जाकर कॉफी पीते हैं, लेकिन उन्हें राहत तभी मिलती है, जब टपरी पर जाकर चाय पिएंगे।