निकाय चुनाव में नई प्रभाग रचना (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Local Body Elections: राज्य सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा इस पर मुहर लगाए जाने के बाद 22 अगस्त को प्रारूप प्रभाग रचना घोषित कर 28 अगस्त तक आपत्तियां और सुझाव मंगाए जाने हैं। हालांकि इसमें काफी कुछ परिवर्तन होने की उम्मीद तो कम जताई जा रही है किंतु पार्षदों के चुनावों में 100 और 200 मतों का भी अंतर जीत के लिए बड़ा होने के कारण प्रभाग सीमाएं बदलने की आशंका भर से इच्छुकों के दिलों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
यहां तक कि कुछ इच्छुकों का भविष्य इसकी वजह से दांव पर होने की जानकारी भी सूत्रों ने दी। 4 सदस्यीय प्रभाग रचना होने के संकेतों के बाद राजनीतिक दलों और इच्छुकों ने किसी तरह से संभावित प्रभाग का आकलन कर तैयारियां शुरू कर दी थीं। पुराने प्रभाग में बड़ा फेरबदल होने के बाद भी किसी तरह जोड़तोड कर टिकट पाने तथा चुनाव लड़ने की रणनीति भी तैयार होने लगी थी। विशेष रूप से भाजपा की ओर से चुनाव का पूरा खाका तक तैयार कर दिया गया था किंतु अब प्रारूप प्रभाग रचना की घोषणा की तिथि करीब आने से कई इच्छुक टकटकी लगाए बैठे हैं।
जानकारों के अनुसार महाविकास आघाड़ी के घटक दलों के राज्य के अलग-अलग हिस्सों में प्रभाव है। प्रभाव होने के बावजूद यदि आघाड़ी के घटक दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो मत विभाजन का लाभ विरोधी दल भाजपा को हो सकता है। महाविकास आघाड़ी के ही कुछ नेताओं का मानना है कि जिन हिस्सों में जिस दल का पलड़ा भारी है उसे अधिक बल देकर अन्य सहयोगी दल के रूप में वहां लड़ सकेंगे जिससे विरोधी दल के साथ सीधी लड़ाई लड़ी जा सकती है।
इस तरह से मुंबई के अलावा अन्य शहरों में भी गठबंधन होने में कोई बाधा नहीं होगी। साथ ही विपक्ष की चुनौतियों का आसानी से सामना किया जा सकेगा। अलग-अलग लड़ने से कई तरह की परेशानियां होने के कारण मिलकर चुनाव लड़ने के संकेत मिलने की जानकारी सूत्रों ने दी।
मनपा के आम चुनावों को लेकर अभी भी भले ही असमंजस की स्थिति बनी हो लेकिन 15 वर्षों से मनपा में सत्ता होने के कारण एंटी इनकम्बेंसी से निपटने तथा चौथी बार जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा तैयारियों में जुट गई है। आलम यह है कि प्रभाग रचना घोषित होने से पहले ही भाजपा की ओर से संभावित प्रत्याशियों की खोज के साथ तैयारियां शुरू की गई थीं।
यहां तक कि प्रत्येक पार्षद का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर प्रभाग में उनकी स्थिति का आकलन किया जा रहा है। एक ओर जहां भाजपा चुनावी मोड में है वहीं अन्य दल वरिष्ठों के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। बहरहाल कांग्रेस और आघाड़ी के घटक दलों के नेताओं में निश्चित ही एकसाथ चुनाव लड़ने की तैयारियां देखी जा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार कभी पार्टी का कार्यक्रम तो कभी विपक्षी दल के खिलाफ आंदोलन का सहारा लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं को लगातार व्यस्त रखने का प्रयास कर रही है। हालांकि शहर में भाजपा कार्यकर्ताओं की संख्या के अनुसार आंदोलन में भले ही उतनी संख्या नहीं जुट पा रही हो लेकिन फिर भी ‘इवेंट मैनेजमेंट’ का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
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राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा में भी अब कार्यकर्ताओं ने पार्टी को दिए समय और पार्टी से उनकी मेहनत के मिले फल का आकलन किया जा रहा है। कार्यकर्ता यहां तक कहते दिखाई देते है कि मेहनत में तो सभी को जुटाया जाता है किंतु लाभार्थी योजना केवल कुछ ही लोगों के हिस्से में आती है।